क्या आप जानते हैं होली के दिन क्यों गाया जाता है फगुआ? जानें इसका धार्मिक महत्व

फागुन के महीने में रंग बिरंगी होली का महा पर्व मनाया जाता है.  इसी फागुन के महीने में लोग फगुआगीत भी गाते हैं. शहरों में भले ही यह परंपरा अब लुप्त हो रही हो लोग डीजे के साथ होली का गाना लगाकर मौज मस्ती कर रहे हो. लेकिन गांव में अभी भी ढोल मजीरे के साथ होली पर फगुआ गीत गाते है. लेकिन क्या आपको पता है इस महीने में फगुआ गीत क्यों गाया जाता है ? नहीं पता तो कोई बात नहीं राजसत्ता एक्सप्रेस आपको इसकी जानकारी देने वाला है.

दरअसल भारत के हिंदी महीने में 1 महीने का नाम फागुन होता है. जिसे अंग्रेजी में मार्च का महीना कहते हैं और हिंदू पंचांग के अनुसार फागुन माह की पूर्णिमा को होली का महापर्व मनाया जाता है. इस दिन भक्तों से लेकर भगवान तक हिंदू से लेकर मुस्लिम तक सब आपसी सौहार्द की होली खेलते हैं.इसी दिन लोग अपने घरों से निकलकर एक मंडली बनाते हैं और ढोल मजीरा के साथ घर-घर फगुआ का गीत गाते हैं.

अयोध्या के प्रसिद्ध कथावाचक पवन दास शास्त्री बताते हैं कि जब प्रकृति अपना श्रृंगार करती है तो उस दौरान फागुन के महीने में सूखा पन आता है. इसके अलावा राग रागिनी के साथ-साथ रंग रोगन का भी प्रयोग इसी फागुन के माह में किया जाता है. जिससे एक प्रकार से मानसिक और शारीरिक चिकित्सा हो जाती है. इस वजह से यह परम आवश्यक है की इस मौसम में गायन मानव स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है. इसके साथ ही फागुन के माह में प्रकृति अपना श्रृंगार करती है. मौसम के सुस्त रहने की वजह से राग रागिनीयों को रिझाने के लिए फागुन के माह में फगुआ गाया जाता है.

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