G-777G0H0RBN
Friday, March 21, 2025

EPIC को आधार से लिंक करने पर बड़ा पेंच, सरकार के लिए आसान नहीं राह!

मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को आधार से जोड़ने की केंद्र सरकार की योजना इतनी आसान नहीं है। इसे लागू करने से पहले सरकार को कई कानूनी अड़चनों से गुजरना होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता, बल्कि इसे सिर्फ स्वैच्छिक रूप से लागू किया जा सकता है। इस वजह से सरकार को दोहरी व्यवस्था अपनानी होगी—एक, जिसमें मतदाता अपनी मर्जी से EPIC-आधार लिंक करा सकें और दूसरी, जिसमें पुराने तरीके से पहचान पत्र मान्य रहेगा।

चुनाव आयोग की क्या है रणनीति? चुनाव आयोग (ECI) चाहता है कि EPIC-आधार लिंकिंग के जरिए मतदाता सूची को दुरुस्त किया जाए। 18 मार्च को चुनाव आयोग ने इस मसले पर गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ के साथ बैठक बुलाई है। इस मीटिंग में EPIC-आधार लिंकिंग के फायदों और नुकसान पर विस्तार से चर्चा होगी।

कानून में बदलाव की जरूरत! अगर सरकार इस योजना को लागू करना चाहती है, तो उसे आधार एक्ट, चुनाव कानून, जनप्रतिनिधित्व कानून और मतदाता सूची नियमों में जरूरी संशोधन करने होंगे। इसके अलावा, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी पालन करना होगा, जिसमें आधार को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया गया, लेकिन इसे अनिवार्य करने के बजाय नागरिकों की इच्छा पर छोड़ दिया गया।

बैंक अकाउंट खोलने से लेकर सिम कार्ड लेने तक, आधार लिंकिंग को अनिवार्य नहीं किया गया है, बल्कि इसे वैकल्पिक रखा गया है। इसी तरह, EPIC-आधार लिंकिंग को भी पूरी तरह से स्वैच्छिक रखना होगा। हालांकि, जिन लोगों के आधार लिंक नहीं होंगे, उन्हें सत्यापन की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है।

कानूनी अड़चनें क्या हैं? कानूनी जानकारों के मुताबिक, अगर सरकार EPIC-आधार लिंकिंग को कानून में संशोधन कर लागू करती है, तो इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकेगा। इससे चुनाव आयोग को डुप्लीकेट मतदाता की समस्या से निजात मिल सकती है, लेकिन मतदाताओं के लिए एक अतिरिक्त प्रक्रिया जुड़ जाएगी।

संविधान के मुताबिक, वोट देने का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन लोकतंत्र भारतीय संविधान की बुनियादी विशेषता है। सुप्रीम कोर्ट ने 1982 में ज्योति बसु बनाम देबी घोषाल मामले, 2006 के कुलदीप नैयर बनाम भारत सरकार मामले में कहा था कि मतदान का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। अगर इसे मौलिक अधिकार बना दिया जाए, तो जेल में बंद कैदियों को भी मतदान का अधिकार देना पड़ेगा, जिससे कानूनी अड़चनें और बढ़ सकती हैं।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA) के प्रावधान

  1. यह निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया तय करता है।

  2. लोकसभा और विधानसभाओं में सीटों के आवंटन का प्रावधान करता है।

  3. मतदाता सूची तैयार करने और सीटें भरने के तरीके निर्धारित करता है।

  4. यह मतदाताओं की योग्यता को परिभाषित करता है।

चुनाव आयोग का एक्शन प्लान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कार्यभार संभालते ही लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। हाल ही में कुछ अहम बैठकें हुई हैं, जिनमें इन बिंदुओं पर चर्चा की गई—

  1. 31 मार्च 2025 तक सभी राज्यों में सर्वदलीय बैठकें आयोजित की जाएंगी।

  2. 30 अप्रैल 2025 तक सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों से सुझाव लिए जाएंगे।

  3. अगले 3 महीनों में डुप्लिकेट EPIC का समाधान निकालने की योजना बनाई जा रही है।

  4. क्षेत्रीय स्तर पर बूथ एजेंटों और चुनाव एजेंटों को उनकी भूमिका के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा।

  5. 18 साल से अधिक उम्र के सभी भारतीय नागरिकों को वोटिंग के लिए योग्य बनाया जाएगा।

  6. भविष्य में किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे, ताकि मतदान तेजी से पूरा हो सके।

EPIC-आधार लिंकिंग जरूरी है या नहीं? चुनाव आयोग की मंशा मतदाता सूची को और ज्यादा पारदर्शी बनाना है, ताकि फर्जी मतदान पर रोक लगाई जा सके। लेकिन कानूनी पेचिदगियों की वजह से इसे अनिवार्य नहीं किया जा सकता। अगर सरकार चाहे, तो कानून में संशोधन कर सकती है, लेकिन तब भी इसे स्वैच्छिक रखना ही एकमात्र विकल्प होगा।

अब देखना यह होगा कि सरकार और चुनाव आयोग मिलकर इस दिशा में कैसे आगे बढ़ते हैं और क्या EPIC-आधार लिंकिंग का फैसला मतदान प्रक्रिया में कोई बड़ा बदलाव ला पाएगा या नहीं।

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles