दुनियां भर मे भारत एक ऐसा देश बन गया है जहां वायु प्रदूषण के कारण सबसे जादा लोग मर रहे हैं। हैरानी की बात तो यह है कि सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण के शिकार राजधानी दिल्ली में हैं। यहां प्रदूषण की वजह से स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। वायु प्रदूषण के कारण अब लोगों का दिल्ली मे रहना मुश्किल हो गया है। आधुनिक वातावरण और जीवनशैली ने शहर को प्रदूषित कर दिया है। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण एक मूक और अदृश्य हत्यारा बन गया है और यह प्रत्येक वर्ष यहां रहने वाले लोगों की असामयिक मौत के लिए जिम्मेदार है, जिसमें कई बच्चे शामिल हैं। बॉयड ने जेनेवा में मानवाधिकार परिषद के दौरान 2018 में यह कहा य़ा कि, “कई वर्षों तक भारत में खास तौर पर दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर में सांस लेने के कारण लोग कैंसर, सांस की बीमारी या हृदय की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं जिसके कारण, हर घंटे लगभग 800 लोगों की मौत हो रही है। आश्चर्यजनक यह है कि 2018 में आई इस रिपोर्ट में भी दिल्ली भारत का सबसे प्रदूषित शहर था और आज भी यह पहले नंबर पर है।
दिल्ली में सांस लेना मुश्किल
दीवाली के दूसरे दिन से ही दिल्ली की हालत और खराब हो गई है। दमघोंटू हवा से दिल्ली समेत कई शहरों में हाहाकार मचा हुआ है। यहां पर सांस लेना दूरभर हो गया है। यहां पर 5 नवंबर तक के लिए स्कूल भी बंद करने पड़े हैं। निर्माण कार्य पर रोक लगा दी गई है। हालात इतने खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं कि पहले ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच के लिए बांग्लादेश के क्रिकेटर मास्क पहनकर मैच प्रैक्टिस करने पर मजबूर हैं। दिल्ली-एनसीआर के ज्यादातर शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से ऊपर तक पहुंच गया है।
शहर छोड़ने पर मजबूर लोग
दिल्ली-एनसीआर में अब हालात इतने बिगड़ गए हैं कि प्रदूषण की वजह से लोग दिल्ली छोड़ना चाहते हैं। एक सर्वे के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर के 40 फीसदी लोग शहर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। यह सर्वे दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद में किया गया, जिसमें 17 हजार लोगों को शामिल किया गया। दिल्ली-एनसीआर के निवासियों से पूछा गया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने प्रदूषण के खिलाफ पिछले 3 वर्षों में जिस तरह से योजनाएं चलाई, क्या वो काफी हैं। हैरानी की बात तो यह रही कि 40 फीसदी लोगों ने कहा कि वे दिल्ली-एनसीआर को छोड़कर कहीं और जाना चाहते हैं।
14 गुना ज्यादा खतरनाक
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एयर क्वालिटी मॉनिटर सफर ने पूरी दिल्ली का एक्यूआई जारी किया, जो शाम पांच बजे तक 708 था। यह 0-50 के सुरक्षित स्तर से 14 गुना ज्यादा खतरनाक है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 0-50 के बीच ‘बेहतर’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘सामान्य’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। वहीं, हवा में पीएम 10 का स्तर 100 और पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
कितना खतरनाक है एक्यूआई
आपको बतादें कि, एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) इतना खतरनाक होता है कि, अगर इसका स्तर 401-500 के बीच है तो 22 सिगरेट के बराबर हानिकारक होता है वही इसका स्तर 1101-1200 के बीच तक होने पर यह 42 सिगरेट के बराबर नुसान पहुंचाता है।
रविवार को हल्की बारिश ने दिल्ली के एयर क्वालिटी इंडेक्स को 447 से ज्यादा पहुंचा दिया है जबकि शनिवार शाम तक इसका स्तर 402 के करीब था। दिल्ली के सबसे भीड़-भाड़ वाली जगहों में शामिल आईटीओ क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा 486 रहा। रविवार को स्मॉग की अधिकता के साथ ही विजिविलिटी का स्तर भी काफी कम है और कई लोगों को घरों के भीतर भी धुआं-धुआं सा घिरने का अहसास हो रहा है। हेल्थ इमरजेंसी की वजह से दिल्ली-एनसीआर के स्कूल पहले से ही बंद हो चुके हैं और निर्माण कार्य पर भी रोक लगी हुई है। लेकिन इसके बाद भी रविवार की सुबह शनिवार से ज्यादा प्रदूषित रही है। गहरे धुंध में इंडिया गेट, रायसीना हिल, लालकिला, संसद भवन, अक्षरधाम मंदिर आदि सब छिपे नजर आ रहे हैं। हर तरफ धुएं की चादर फैली हुई है और और उसने पूरी दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया है। दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण के लिए कौन-जिम्मेदार?
दमघोंटू हवा के प्रभाव
दिवाली के बाद वायु प्रदूषण में हुए इजाफे के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों में अधिकतर सांस की तकलीफ और आंखों की समस्याओं से घिरे लोग शामिल हैं। मरीज़ो में 20-22 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जहां मरीजों को आंखों और गले में जलन, शुष्क त्वचा, त्वचा की एलर्जी, पुरानी खांसी और सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है।” वहीं, वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के विश्लेषण से पता चलता है कि गंगा के मैदानी क्षेत्र में रह रहा हर नागरिक औसत रूप से अपनी जीवन प्रत्याशा सात साल खो सकता है।
एक्यूआई स्तर बढ़ने की असली वजह
दिल्ली-एनसीआर के गैस चेंबर बनने के साथ ही ब्लेम गेम भी शुरू हो गया है। जो राजनीति हो रही है किसी से छिपी नहीं है। इस सबसे बीच यह समझना बेहद जरूरी है कि दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों की हवा के इस कदर जहरीली होने की असली वजह क्या है? दरअसल, दिल्ली-एनसीआर की हवा कोई पहली बार जहरीली नहीं हो रही है। हर बार दिवाली के बाद से ही दिल्ली-एनसीआर के आसमां में स्मॉग छा जाता है और घरों में नवजात बच्चों से लेकर बुजुर्गों की शामत आ जाती है। यह सच है कि दिल्ली-एनसीआर के 65 फीसदी से ज्यादा वायु प्रदूषण के लिए स्थानिय स्त्रोत ही जिम्मेदार हैं। इस बात की तस्दीक ईपीसीए भी करता है।
दूसरा पंजाब और हरियाणा के किसान द्वारा जलाई जाने वाली पराली इसके लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन सिर्फ 5-8 फीसदी ही वायु प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार है। इन राज्यों में इस महीने जलाई जाने वाली पराली की वजह से भी दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण की स्थिति खतरनाक हो जाती है क्योंकि उत्तर से चलने वाली हवा पराली के धुएं के साथ ही दिल्ली-एनसाआर की हवा को दूषित कर देती है। दिवाली में फोड़े गए खतरनाक पटाखे भी वायु की गुणवत्ता को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि इस बीच ईपीसीए ने यूपी, हरियाणा और दिल्ली को खत लिखकर ठोस कदम उठाने के लिए कहा है। दिल्ली, फरीदाबाद, नोएडा, गुड़गांव में निर्माण कार्य को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
यहां जानिए इस प्रदूषण से बचने के तरीके
- बढ़ते प्रदूषण का बड़ा कारण गाड़ियां हैं, ऐसे में कम से कम वाहन का इस्तेमाल करें। आप आने जाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकते हैं।
- घर के बाहर मास्क लगाकर निकलें। प्रदूषण से बचने के लिए एन-95 (N-95) से ऊपर के ही मास्क खरीदने चाहिए। ये मास्क आपको सूक्ष्म कणों से भी बचाते हैं।
- खतरनाक प्रदूषण स्तर पर घर के बाहर कसरत करने से बचें।
- घर में साफ सफाई का ध्यान रखें, धूल और मिट्टी जमा न होने दें।
- प्रदूषण में कई लोगों को सांस लेने में ज्यादा पेरशानी होती है, ऐसे में डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
- अपने घर में अच्छा वातावरण बनाएं, घर में पौधे लगाएं जिससे आपको शुद्ध हवा मिल सके।
- ऐसे वातावरण में बाहर से घर वापस आने के बाद मुंह, हाथ और पैर साफ पानी से धोएं।
- आप अपने घर में शुद्ध हवा के लिए एयर प्यूरीफायर लगवा सकते हैं।
- ऐप का सहारा लें, जिस एरिया में ज्यादा प्रदूषण हो वहां जाना अवॉइड करें।
- खाने में विटामिन-सी, ओमेगा-3 जैसे शहद, लहसुन, अदरक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं।