ऐसे में डॉ. सिवन के स्पेस और एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग के क्षेत्र में लंबे अनुभव का लाभ आईआईटी को मिलेगा। डॉ. सिवन की एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता है। वे साल 1982 में पीएसएलवी कार्यक्रम के साथ इसरो से जुड़े थे। उनके मार्गदर्शन में डिजाइन और मिशन सिम्युलेशन को विकसित करने में तेजी आई थी। उन्होंने स्पेस साइंस व इंजीनियरिंग में रिसर्च के साथ एजुकेशन पर भी जोर दिया। इंदौर आईआईटी भी इस संभावना पर कार्य कर रही है।
डॉ सिवन 1982 में इसरो में शामिल हुए थे। वह एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली इंजीनियरिंग, लॉन्च वाहन, मिशन डिजाइन, नियंत्रण, मार्गदर्शन डिजाइन, मिशन सिमुलेशन सॉफ्टवेयर डिजाइन, मिशन संश्लेषण और उड़ान प्राणालियों के विशेषज्ञ हैं। के.सिवन का पूरा नाम है कैलाशावादिवो सिवन है। वे कन्याकुमारी में पैदा हुए। गांव का नाम सरक्कालविलाई।
उनका परिवार इतना गरीब था कि सिवन की पढ़ाई के लिए भी पैसे नहीं थे। गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ते थे। आगे की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर निकलना था लेकिन घर में पैसे नहीं थे। के सिवन को पढ़ने के लिए फीस जुटानी थी और इसके लिए उन्होंने पास के बाजार में आम बेचना शुरू किया जो पैसे मिलते, उससे अपनी फीस चुकाते। ये बात उन्होंने इसरो चेयरमैन बनने के बाद एक अंग्रेजी अखबार को बताई थी।