दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नगदी मिलने के बाद अब उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की चर्चा शुरू हो गई है। यह मामला तब सामने आया जब जस्टिस वर्मा के घर में आग लग गई और फायर ब्रिगेड की टीम ने बचाव कार्य के दौरान उनके घर से कैश बरामद किया। इसके बाद से ही न्यायपालिका में पारदर्शिता को लेकर बहस छिड़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की है। हालांकि, अब सरकार इस मामले पर नजर बनाए हुए है और संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर महाभियोग प्रस्ताव क्या होता है और इसे कैसे लाया जाता है? आइए जानते हैं।
क्या है महाभियोग प्रस्ताव?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) और न्यायपालिका अधिनियम में जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का प्रावधान है। यह प्रस्ताव किसी जज को उसके दुराचार (Misbehaviour) या कर्म-अक्षमता (Incapacity) के आधार पर हटाने के लिए लाया जाता है। यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों पर लागू होती है।
महाभियोग प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों, यानी लोकसभा और राज्यसभा में पास करना जरूरी होता है। इसमें विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जिसका मतलब है कि सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पास होना चाहिए।
कैसे लाया जाता है महाभियोग प्रस्ताव?
- प्रस्ताव का प्रारंभ:
महाभियोग प्रस्ताव को संसद के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। इसे लाने के लिए सांसदों का समर्थन जरूरी होता है। लोकसभा में कम से कम 100 सांसद और राज्यसभा में 50 सांसदों का समर्थन मिलना चाहिए। - प्रारंभिक जांच:
प्रस्ताव पेश होने के बाद सदन के सभापति (लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में उपराष्ट्रपति) एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाते हैं। इस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के एक जज, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक कानून विशेषज्ञ शामिल होते हैं। - जांच और रिपोर्ट:
कमेटी जज पर लगे आरोपों की जांच करती है और अपनी रिपोर्ट सदन के सामने पेश करती है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो महाभियोग प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाता है। - सदन में मतदान:
प्रस्ताव को पहले एक सदन में पास कराया जाता है। अगर यह पास हो जाता है, तो इसे दूसरे सदन में भेजा जाता है। दोनों सदनों से पास होने के बाद यह प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। - राष्ट्रपति की मंजूरी:
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद जज को पद से हटा दिया जाता है।
जस्टिस वर्मा केस में क्या है स्थिति?
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से नगदी मिलने के बाद से ही यह मामला चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनका ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट करने की सिफारिश की है, लेकिन अब सरकार इस मामले में संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।
न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है, तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।