इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ नें SC /ST के तहत दर्ज मामलों में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इलाहबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ नें ने कहा कि SC /ST के तहत दर्ज मामले की जांच डीएसपी /पुलिस उपाधीक्षक से निम्न स्तर के अधिकारी द्वारा नहीं की जा सकती। यदि ऐसी जांच की जाती है तो वह SC /ST अधिनियम के नियम 7 का उल्लंघन है।
हाई कोर्ट में प्रस्तुत मामले में जांच अधिकारी की खामी को देखते हुए तथा उक्त खामी को भी एक आधार मानते हुए हाई कोर्ट ने हत्या के आरोपियों को दोषमुक्त किया। हाई कोर्ट ने कहा कि पीड़ित का मात्र SC /ST समुदाय से होना SC /ST Act को आकर्षित नहीं करता। उक्त मामले में दरोगा द्वारा विवेचना की गयी थी, जिसे उच्च न्यायालय ने विधि विरुद्ध बताया और आरोपियों को दोषमुक्त किया।
आपको बता दें कि इससे पहले गुरूवार को भी SC/ST अधिनियम को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया था। एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा कि एससी/एसटी अधिनियम के तहत किसी भी पीड़ित को केवल प्राथमिकी दर्ज करके अथवा चार्जशीट दाखिल होने पर तत्काल कोई भी मुआवजा दिया जाना सर्वथा अनुचित है। कोर्ट ने टिपण्णी की कि जब तक आरोपी की दोषसिद्धि नहीं हो जाती उसे मुआवजे का कोई अधिकार नहीं है।