भोपाल: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर तीन दिन पहले हड़ताल पर गये प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के कुछ घंटों बाद ही करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया.
मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया, ”प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने अपने-अपने मेडिकल कॉलेजों के डीन को सामूहिक इस्तीफा दे दिया है.”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने तीसरे वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स के इनरोलमेंट रद्द कर दिये हैं. इसलिए अब हम परीक्षा में कैसे बैठेंगे. मालूम हो कि स्नातोकत्तर (पीजी) कर रहे जूनियर डॉक्टर्स को तीन साल में डिग्री मिलती है, जबकि दो साल में डिप्लोमा मिलता है.
मीणा ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए हम जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे. उन्होंने कहा कि मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन एवं फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन भी हमारे साथ आ रहे हैं.
मीणा ने दावा किया कि छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित सभी राज्यों, एम्स एवं निजी अस्पतालों के जूनियर डॉक्टर एवं सीनियर डॉक्टर भी हमारा समर्थन करेंगे.
इससे कुछ ही घंटे पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सुजय पॉल की बेंच ने प्रदेशव्यापी शासकीय जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देते हुए जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटों में काम पर लौटने के आदेश देते हुए कल (शुक्रवार) दोपहर ढाई बजे तक काम पर वापस लौटने का निर्देश दिया था.
अदालत ने कहा कि निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डॉक्टर हड़ताल समाप्त कर काम पर नहीं लौटते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे. बेंच ने कोरोना महामारी काल में जूनियर डॉक्टर के हड़ताल पर जाने की निंदा की है. उन्हें कहा है कि विपत्तिकाल में जूनियर डॉक्टर की हड़ताल को किसी प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता है. उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है.