महंत नरेंद्र गिरि मौत के केस में CBI ने कोर्ट से आरोपियों के पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति मांगी !

महंत नरेंद्र गिरि मौत के केस में CBI ने कोर्ट से आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट  की अनुमति मांगी !
उत्तर प्रदेश :सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI ) ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP ) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या केस  में तीनों आरोपियों का पॉलीग्राफ टेस्ट (लाई डिटेक्टर टेस्ट) कराने के लिए प्रयागराज की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत से इजाजत मांगी है। इस मकेस  में आनंद गिरि, आद्या तिवारी और उनके पुत्र  संदीप तिवारी आरोपी हैं। आवेदन मंगलवार को दायर किया गया है और सCJM  कोर्ट  18 अक्टूबर को इस पर सुनवाई करेगी। आरोपी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी जो फिलहाल 18 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं, नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। पुलिस ने प्रयागराज कोर्ट में अपने आवेदन में दावा किया कि तीनों आरोपी पुलिस हिरासत में रिमांड के दौरान सही तथ्य पेश नहीं कर रहे हैं।

 

तीनों आरोपी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा पेश किया जायेगा

वहीं  इस केस में कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखने के लिए तीनों आरोपियों को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये  से जोड़ा जाएगा। इस बीच, आरोपी के अधिवक्ता ने पॉलीग्राफ टेस्ट के खिलाफ में एक अर्जी भी दायर  की है। CBI  के आवेदन में कहा गया है, महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के पीछे की सच्चाई को सामने लाने  के लिए, उपरोक्त तीन आरोपियों के वैज्ञानिक परीक्षण किए जाने की जरूरत  है।

महंत नरेंद्र गिरि बाघंबरी मठ में संदिग्ध अवस्था  में मृत पाए गए थे

देश भर में संतों के सबसे बड़े संगठन के अध्यक्ष रहे महंत गिरी 20 सितंबर को प्रयागराज के बाघंबरी मठ में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र गिरी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। महंत ने अपने कथित सुसाइड नोट में तीन आरोपियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था।

उत्तर प्रदेश पुलिस से सीबीआई को मामले की जाँच सौप दी गई 

दोषियों के विरुद्ध IPC की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी और आनंद गिरी, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को अरेस्ट  किया गया। उन्हें 22 सितंबर को CJM अदालत  में पेश किया गया और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। बाद में प्रदेश सरकार की सिफारिश पर इसकी जांच उत्तर प्रदेश  पुलिस से CBI  को स्थानांतरण कर दी गई।
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