राज्यसभा के सभापति के खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव, INDIA गठबंधन के कई सांसदों ने किए हस्ताक्ष

देश की संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल रही है, और विपक्षी सांसदों की ओर से लगातार राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात का आरोप लगाया जा रहा है। अब सूत्रों के अनुसार, विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA (Indian National Developmental Inclusive Alliance) राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। इसके लिए कई सांसदों ने हस्ताक्षर भी किए हैं।

विपक्ष का आरोप – पक्षपाती रवैया

विपक्षी पार्टियों का कहना है कि राज्यसभा के सभापति, जो कि भारतीय उपराष्ट्रपति भी हैं, सदन की कार्यवाही में पक्षपाती तरीके से काम कर रहे हैं। उनके रवैये को लेकर विपक्षी सांसदों में नाराजगी बढ़ गई है, और अब उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(बी) का हवाला देते हुए सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया है।

INDIA गठबंधन का समर्थन

सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP), समाजवादी पार्टी (SP) और अन्य INDIA गठबंधन की पार्टियों ने इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह प्रस्ताव अब राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना है। विपक्षी दलों का कहना है कि यदि सभापति का पक्षपाती रवैया जारी रहता है, तो इससे लोकतंत्र और संसद की मर्यादा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

क्या है अविश्वास प्रस्ताव?

संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत, राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। अगर प्रस्ताव पास होता है, तो सभापति को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।

संसद में गतिरोध और विपक्षी सांसदों की नाराजगी

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा की कार्यवाही में कई बार बाधा डाली है। उनका आरोप है कि सदन की कार्यवाही के दौरान उन्हें पूरी तरह से बोलने और अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिल रहा है। इसके अलावा, कई बार उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की गई है, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है। अब अविश्वास प्रस्ताव के जरिए वे अपने इस असंतोष को व्यक्त करने की तैयारी कर रहे हैं।

क्या होगा आगे?

यह प्रस्ताव राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह संसद की कार्यप्रणाली और विपक्ष के अधिकारों के प्रति चिंता को उजागर करता है। यदि यह प्रस्ताव पेश किया जाता है, तो यह राज्यसभा और सरकार दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

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