पणजी: तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने बुधवार को यहां कहा कि जवाहरलाल नेहरू अगर आत्मकेंद्रित नहीं होते तो आज भारत और पाकिस्तान एक देश होता है. उन्होंने कहा कि नेहरू अनुभवी थे, लेकिन फिर भी भूल तो हो ही जाती है.
दलाई लामा ने पणजी से करीब 30 किलोमीटर दूर उत्तर गोवा के सांकेलिम गांव में गोवा प्रबंधन संस्थान में आयोजित परिचर्चा के दौरान एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए कहा, “महात्मा गांधी प्रधानमंत्री का पद (मोहम्मद अली) जिन्ना को देना चाहते थे, लेकिन नेहरू ने मना कर दिया. वह आत्मकेंद्रित थे.
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उन्होंने कहा कि मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता हूं. अगर जिन्ना को प्रधानमंत्री उस समय बनाया गया होता तो भारत और पाकिस्तान संयुक्त होता. पंडित नेहरू बहुत अनुभवी थे, लेकिन भूल तो हो ही जाती है.
” दलाई लामा गोवा प्रबंधन संस्थान के 25 साल पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता थे. कार्यक्रम में ‘आज के संदर्भ में भारत के प्राचीन ज्ञान की प्रासंगिकता’ विषय पर वह व्याख्यान दे रहे थे.
विद्यार्थियों से बातचीत से पहले दलाई लामा ने भारत के पारंपरिक ज्ञान का शिक्षा के आधुनिक पहलुओं में विलय पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा, “भारत की संस्कृति में परंपरा और ज्ञान समाहित है. अहिंसा की धरती परंपरागत ज्ञान का कड़ाह है, जिसमें चिंतन, करुणा, धर्मनिरपेक्षता और कई अन्य बातें शामिल हैं.”