Saturday, May 10, 2025

ताजिकिस्तान से पाकिस्तान पर एयरस्ट्राइक!…भारत के सेंट्रल एशिया के इस बेस से खौफ में शहबाज-मुनीर

पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर करके बदला ले लिया है। भारत ने कूटनीति के साथ सामरिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को पस्त कर दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आर्मी के मिसाइल हमले के जवाब में यह कार्रवाई की। भारतीय वायुसेना ने भी कहा है कि दुश्मन को संयम, समझदारी और संतुलित होने के साथ करारा जवाब दिया। इन सबके बीच एक बात यह भी सामने आ रही है कि क्या भारत जरूरत पड़ने पर भारत से बाहर किसी बेस से पाकिस्तान के खिलाफ करारा जवाब दे सकता है। जानते हैं भारत के पास ऐसा कौन सा बेस है? उसकी अहमियत भी समझते हैं।

मध्य एशिया में है भारत का एक मिलिट्री बेस

मध्य एशिया में भारत का एक overseas military base है। यह बेस नई दिल्ली को पाकिस्तान में intelligence gathering, reconnaissance और combat missions शुरू करने के लिए एक और विकल्प दे सकता है। इससे भारत को पाकिस्तान के साथ लगी LoC और IB पर हमला करने से भी बचने में मदद मिलेगी, जहां पाकिस्तान ने अपनी सुरक्षा बहुत कड़ी कर रखी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह लड़ाई जंग में तब्दील होती है तो भारत के पास पाकिस्तान की रक्षा लाइनों के पीछे से हमला करने का विकल्प भी है। यानी अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा से घुसपैठ करता है, तो जनरल असीम मुनीर या पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ भी हैरान रह जाएंगे।

पाकिस्तान का फोकस अपनी पूर्वी सीमा की रक्षा करने में

पाकिस्तान हमेशा से भारत के साथ लगी अपनी पूर्वी सीमा की रक्षा करने पर ध्यान देता रहा है। उसने अफगानिस्तान के साथ लगी पश्चिमी और उत्तरी सीमाओं पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। पाकिस्तान के सबसे अच्छे air defense systems और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें LoC और इंटरनेशनल बॉर्डर पर ही लगे हैं। पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा में कमी के कारण ही 2011 में अमेरिका बिना किसी चुनौती के पाकिस्तान में घुस गया और एबटाबाद में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया।

 

भारत का मध्य एशिया में सैन्य बेस ताजिकिस्तान में है। भारत यहां के अपने सामरिक ओवरसीज एयरबेस का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर कर सकता है। यह बेस पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी PoK से 600 किलोमीटर से भी कम दूरी पर है। भारत लगभग तीस सालों से ताजिकिस्तान में सैन्य बेस बनाए हुए है।

मसूद की मौत के दो दिन बाद ही अमेरिका पर हमला

9 सितंबर, 2001 को मसूद पर एक आत्मघाती हमला हुआ। उन्हें इलाज के लिए भारत के बनाए उसी सैन्य हॉस्पिटल ले जाया गया, मगर डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। इसके ठीक दो दिन बाद 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा ने अमेरिका पर हमला किया। इसे 9/11 के आतंकी हमलों के नाम से जाना जाता है। 9/11 के आतंकी हमलों के बाद भारत के कुछ एक्सपर्ट ने दक्षिणी ताजिकिस्तान में स्थित Gissar Military Aerodrome (GMA) को विकसित करने का विचार दिया। इसे आयनी एयरबेस कहा जाता है। Ayni airbase ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से थोड़ा पश्चिम में है।

डोभाल और धनोआ की थी बड़ी भूमिका

माना जाता है कि तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने इस प्रोजेक्ट का पुरजोर समर्थन किया था। मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी NSA अजीत डोभाल और वायुसेना के पूर्व चीफ एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ ने भी इस सैन्य बेस को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। भारत ने Ayni airbase को विकसित करने में लगभग 100 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। धनोआ को 2005 के आखिर में इस बेस का कमांडर बनाया गया था। बताया जाता है कि भारत ने अपने Su-30MKI fighter jets को भी अस्थायी रूप से इस बेस पर तैनात किया है।

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