भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव में कूदे डोनाल्ड ट्रंप, मध्यस्थता की पेशकश की

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। ट्रंप ने भारत और चीन के बीच सीमा विवाद में मध्यस्थता करने की पेशकश की है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों की सेनाओं के बीच जारी गतिरोध के दौरान तनाव कम करने के लिए ‘तैयार, इच्छुक और सक्षम’ हैं। ट्रंप ने पहले कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच भी मध्यस्थता की पेशकश की थी, लेकिन नयी दिल्ली ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। भारत का कहना है कि द्विपक्षीय संबंधों में तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने आज सुबह-सुबह ट्वीट किया, ‘‘हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका उनके इस समय जोर पकड़ रहे सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम है। धन्यवाद।’’

ट्रंप का यह अनपेक्षित प्रस्ताव ऐसे दिन आया है जब चीन ने एक तरह से सुलह वाले अंदाज में कहा कि भारत के साथ सीमा पर हालात कुल मिलाकर स्थिर और काबू पाने लायक हैं। बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन और भारत के पास संवाद और परामर्श के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने के लिए उचित प्रणालियां और संचार माध्यम हैं। नयी दिल्ली में चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने कहा कि चीन और भारत को कभी अपने मतभेदों की छाया समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देनी चाहिए तथा आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए। सुन ने सैन्य गतिरोध का जिक्र किये बिना कहा कि दोनों पक्षों को संचार के जरिये अपने मतभेदों को सुलझाना चाहिए और इस बुनियादी बात को मानना चाहिए कि वे एक- दूसरे के लिए खतरा नहीं हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने मतभेदों को सही से देखना चाहिए और उनकी छाया द्विपक्षीय सहयोग के समग्र हालात पर नहीं पड़ने देनी चाहिए। उसी समय हमें क्रमिक तरीके से संचार के जरिये समझ बढ़ानी चाहिए और मतभेदों को सतत तरीके से सुलझाना चाहिए।’’ ट्रंप का इस समय व्यापार, नोवेल कोरोना वायरस महामारी की उत्पत्ति, हांगकांग पर चीन की नयी सुरक्षा कार्रवाई और विवादास्पद दक्षिण चीन सागर में उसकी सेना के बढ़ने जैसे मुददों पर चीन से टकराव चल रहा है। इस बीच रोचक बात है कि एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने चीन के साथ मौजूदा सीमा विवाद पर भारत का समर्थन किया है। उन्होंने बीजिंग पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश में भारत के साथ सीमा पर संघर्ष में शामिल होने का आरोप भी लगाया। दक्षिण एशिया के लिए शीर्ष अमेरिकी राजनयिक एलिस जी वेल्स ने भारत को चीन के आक्रामक रुख का विरोध करने के लिए भी प्रोत्साहित किया था।

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