भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि एशिया की सदी तभी संभव है जब ड्रैगन टांगअड़ाना छोड़कर इंडिया के साथ हाथ मिलाए। दो वर्ष पूर्व पूर्वी लद्दाख सीमा पर बीजिंग की हरकत के बाद से दोनों देशों के संबंध बेहद जटिल दौर से गुजर रहे हैं।
चुलालोंगकोर्न यूनिवर्सिटी में ‘इंडियाज विजन ऑफ द इंडो-पैसिफिक’ पर व्याख्यान दे रहे भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन एक साथ नहीं आए तो एशिया की सदी होना बहुत कठिन है। इंडिया और चीन के साथ आने के कई उपयय हैं। मात्रा श्रीलंका का मसला पर्याप्त नहीं है। इंडिया और चीन के परस्पर हित ही साथ आने के लिए पर्याप्त हैं। जयशंकर आगे बोले, हम उम्मीद करते हैं कि ड्रैगन को यह बात समझ आएगी और उसकी ओर बुद्धि का उदय होगा।
Such a multi-polar world must necessarily have a multi-polar Asia at its centre. This will happen only if we Asian countries consolidate our independence and expand our freedom of choice.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 18, 2022
भारतीय विदेश मंत्री ने कहा, भारत ने पूरी क्षमता से पड़ोसी देश श्रीलंका की मदद किया है। इस वर्ष हमने 3.8 अरब डॉलर की आर्थिक सहयोग चीन को दिया है। इसमें कर्ज की बढ़ाई गई सीमा सम्मलित है। रोहिंग्या के मुद्दे पर जयशंकर बोले, बांग्लादेश के साथ इस मसले पर वार्ता चल रही है। उनके लिए अधिक आवश्यक है, उनकी वतन वापसी और हम इसमें बांग्लादेश का पूरा समर्थन करते हैं। अभी बांग्लादेश में 10 लाख से ज्यादा रोहिंग्या उपस्थित हैं, जो म्यांमार से वहां पहुंचे हैं।