नई दिल्ली। यूक्रेन-रूस युद्ध और इजरायल-ईरान के बीच संभावित संघर्ष के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका थी, लेकिन भारत में अब राहत की खबर आई है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने आम लोगों को महंगाई के झटके से बचा लिया है। इसके अलावा, सोमवार को मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति भी मजबूत हुई है।
तेल की कीमतों में बदलाव
कच्चे तेल की कीमतों में हाल में बढ़ोतरी हुई थी, खासकर जब ईरान ने इजरायल पर रॉकेट दागे थे। उस समय कच्चे तेल की कीमत 75 से 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी। लेकिन वर्तमान में, डब्ल्यूटीआई कच्चे तेल की कीमत 1.20 फीसदी गिरकर 74.65 डॉलर प्रति बैरल हो गई है, और ब्रेंट क्रूड की कीमत भी 1.21 फीसदी गिरकर 78.08 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन महंगाई का खतरा पूरी तरह टलेगा तब, जब कीमतें और कम होंगी।
भारत की कच्चे तेल की खरीदारी
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते, भारत ने रूस से सस्ती कीमत पर कच्चे तेल का आयात शुरू किया था। पहले भारत रूस से कच्चा तेल कम ही खरीदता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। इस निर्णय पर यूरोपीय देशों और अमेरिका ने आपत्ति जताई, लेकिन भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है।
विभिन्न स्रोतों से तेल आयात
भारत अब रूस के अलावा इराक, ईरान, कुवैत और अमेरिका से भी कच्चा तेल खरीदता है। हाल ही में वेनेजुएला से कच्चे तेल के आयात के लिए अमेरिका ने भारत की रिलायंस को मंजूरी भी दी है। इन उपायों से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से रोकने में मदद मिल रही है।