भारत का स्वदेशी फाइटर जेट इंजन बनने का सपना साकार होने के करीब, कावेरी इंजन को मिली इनफ्लाइट परीक्षण की मंजूरी

रत का स्वदेशी फाइटर जेट इंजन बनाने का सपना अब साकार होने के करीब है। कावेरी इंजन को अब इनफ्लाइट परीक्षण के लिए मंजूरी मिल गई है, जिससे भारतीय रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम उठाने का मौका मिलेगा।
भारत का सपना, वास्तविकता के करीब
भारत लंबे समय से स्वदेशी फाइटर जेट इंजन बनाने का सपना देख रहा था, और अब यह सपना सच होने के बेहद करीब है। कावेरी इंजन, जो कि भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) द्वारा विकसित किया गया है, अब इनफ्लाइट परीक्षण के लिए तैयार हो चुका है। यह परीक्षण भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि इससे भारत की एयर-डिफेंस तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम होगी।
कावेरी इंजन: एक महत्वपूर्ण विकास
कावेरी इंजन, जिसे खासतौर पर भारत के पहले स्टेल्थ, मानव रहित लड़ाकू विमान (UCAV) “घातक” के लिए डिज़ाइन किया गया था, को अब असल उड़ान परिस्थितियों में परखा जाएगा। यह इंजन नॉन-आफ्टरबर्निंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है, जिससे इसकी क्षमता और दक्षता में सुधार हो सकता है। इस इंजन का इनफ्लाइट परीक्षण एक ऐसे विशेष फ्लाइंग टेस्ट बेड (FTB) पर होगा, जो इसे विभिन्न उड़ान स्थितियों और एयरक्राफ्ट सिस्टम के साथ इंटीग्रेट करेगा। इस दौरान इंजन की सहनशीलता, दक्षता और प्रदर्शन को विभिन्न मौसम, तापमान, स्थानों और परिस्थितियों में परखा जाएगा।
रूस में होगा कावेरी इंजन का परीक्षण
कावेरी इंजन के इनफ्लाइट परीक्षण का आयोजन रूस के ग्रोमोव फ्लाइट रिसर्च इंस्टीट्यूट में होगा। यह संस्थान रूस के मास्को के पास स्थित है और इस पर परीक्षण करने के लिए IL-76 विमान को पूरी तरह से संशोधित किया गया है। इनफ्लाइट परीक्षण की मंजूरी कई चरणों में किए गए परीक्षणों के बाद दी गई है। इसमें रूस में हाई एल्टीट्यूड सिमुलेशन और भारत में गहन ग्राउंड ट्रायल शामिल थे। रूस के केंद्रीय विमानन मोटर संस्थान (CIAM) ने पिछले साल 13,000 मीटर (42,651 फीट) की ऊंचाई पर हाई एल्टीट्यूड परीक्षण किया था, जो इस इंजन के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मददगार साबित हुआ।
DRDO का उद्देश्य: 2025 तक उत्पादन शुरू
भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और GTRE का लक्ष्य 2024-25 तक सभी परीक्षणों को पूरा करना और 2025-26 तक इस इंजन का सीमित उत्पादन शुरू करना है। यदि यह परीक्षण सफल होते हैं, तो कावेरी इंजन भारत के लिए एक आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक का आधार बनेगा, और भारतीय एयरफोर्स को विदेशी आपूर्तिकर्ताओं से मुक्ति मिलेगी।
दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल होने की राह
दुनिया के केवल पांच देश – ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका, रूस और चीन – ही आज के समय में अत्याधुनिक फाइटर जेट इंजन बनाने की क्षमता रखते हैं। ये वे देश हैं जिनके पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर भी है। भारत का लक्ष्य इस “एलीट क्लब” में शामिल होना है, और कावेरी इंजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इसके सफल परीक्षण के बाद, भारत अपने रक्षा उद्योग में भी महत्वपूर्ण प्रगति कर सकेगा, और यह विदेशों से रक्षा तकनीक पर निर्भरता कम कर सकेगा।
भविष्य में UAVs में होगा कावेरी इंजन का इस्तेमाल
भारत की योजना है कि कावेरी इंजन का इस्तेमाल भविष्य के मानव रहित हवाई वाहनों (UAVs) में किया जाएगा। भारत का लक्ष्य अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए इस इंजन का उपयोग करेगा, हालांकि, यह सिर्फ शुरुआत है। कावेरी इंजन से मिलने वाले अनुभव और सीखे गए पाठ भारत को नई दिशा और संभावनाएं प्रदान करेंगे। यह न सिर्फ सैन्य तकनीक के क्षेत्र में, बल्कि नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भी एक लंबी साझेदारी का आधार बन सकता है।
विदेशी कंपनियों की भी रुचि
कावेरी इंजन के इस महत्वपूर्ण विकास से विदेशी कंपनियों की भी रुचि बढ़ी है। तीन प्रमुख कंपनियां – अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक, ब्रिटेन की रोल्स-रॉयस और फ्रांस की सफ्रान – इस महत्वपूर्ण कॉन्ट्रैक्ट के लिए भारत के साथ साझेदारी करने की दौड़ में शामिल हैं। इन कंपनियों के साथ साझेदारी करने से न केवल भारत के रक्षा उद्योग को लाभ होगा, बल्कि यह सहयोग नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भी एक लंबी और प्रभावी साझेदारी का आधार बन सकता है।
कावेरी इंजन परियोजना की शुरुआत और चुनौती
कावेरी इंजन परियोजना की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी, लेकिन इसके विकास में कई कठिनाइयां आईं। केवल कुछ देशों को छोड़कर, ज्यादातर देश फाइटर जेट इंजन बनाने में सक्षम नहीं हैं। भारत ने 2016 में इस परियोजना को पुनर्जीवित किया और इसे मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहनों के लिए एक ड्राई संस्करण के रूप में विकसित किया। अब यह संस्करण इनफ्लाइट परीक्षण के लिए तैयार है, और इसके परीक्षणों के सफल होने से भारत के लिए आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

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