यूपी में भले ही किसान गन्ना भुगतान के लिए चीनी मिलों के चक्कर काट रहे हो। लेकिन उनका गन्ना उत्पादन में कोई जवाब नहीं है। उनके इसी उत्साह ने यूपी को देश ही नहीं दुनिया में नई पहचान दी है।
जिसके बाद चीनी उत्पादन में चीन और अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है। इस साल यूपी में रिकॉर्ड चीनी उत्पादन ने पूरी दुनिया में भारत का सिर ऊंचा कर दिया है।
ब्राजील को उत्पादन में पछाड़ा
चीनी उत्पाद में पहले स्थान पर रहे ब्राजील से भारत ने यह तमगा छीन लिया है। यूपी और महाराष्ट्र के किसानों की बदौलत पिछले डेढ़ दशक बाद भारत अब दुनिया में चीनी उत्पादन के मामले में सबसे आगे हो गया है।
यूपी के किसानों ने निभाई बड़ी भूमिका
मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत में कुल चीनी उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत थी। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उप्र सरकार ने 2017-18 में गन्ना बकाया के रूप में 25,125 करोड़ रुपये का भुगतान किसानों को किया। इंडियन शुगर मिल एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा के मुताबिक, इस साल फिर यूपी में हाई यील्ड वाली किस्म की बुआई ज्यादा हुई है। जिसके बाद यूपी में चीनी उत्पादन 1 करोड़ टन के आंकड़े को पार कर जाएगा। रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक वर्ष इस साल यूपी में 97 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। ऑल इंडिया शुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन (एआईएसटीए) के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में पिछले साल चीनी का 87 लाख टन उत्पादन था। वहीं इस साल एक करोड़ टन से ज्यादा का उत्पादन होगा।
निर्यात सुधारने की जरूरत
गन्ना के उत्पादन के मामले में अमरीकी कृषि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल देश में चीनी उत्पादन में पांच फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। वहीं ब्राजील में चीनी उत्पादन में काफी गिरावट आई है। क्योंकि वहीं खेती के अनुकूल मौसम नहीं रहा। गन्ने से निकलने वाले इथेनॉल की खपत न के बराबर रही। अब देश को ब्राजील के बराबर निर्यात करने की जरूरत है। ताकि निर्यात के मामले में नंबर एक का दर्जा मिले। अमरीकी रिपोर्ट में दक्षिणी अमरीकी देशों में अप्रैल से मार्च के बीच चीनी उत्पादन जबकि भारत में अक्तूबर से सितंबर के बीच उत्पादन के आंकड़े शामिल हैं।
दुनिया भर में आई उत्पादन में गिरावट
पूरी दुनिया में चीनी के में जबरदस्त यानी करीब 4.5 फीसदी जो लगभग 185.9 मिलियन टन की गिरावट होने की उम्मीद है। ब्राजील, थाईलैंड और यूरोपीय संगठन में चीनी उत्पादन गिरने से इसके वैश्विक उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।
चीन से नहीं मंगानी पड़ेगी चीनी
रिकार्ड तोड़ चीनी उत्पादन से सबसे बड़ी राहत ये है कि अब भारत को चीन-यूरोप से चीनी मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके साथ ही चीनी उत्पादन में बढ़ोत्तरी से कीमतों के कम होने के आसार भी बढ़ गए हैं। वहीं अमरीकी बाजारों में चीनी वायदा बाजार में इस साल लगभग 18 फीसदी कीमतों में गिरावट आई है। वहीं ये गिरावत बीते साल 22 प्रतिशत के करीब थी।