अब कोई भी पायलट गलती से नहीं करेगा सरहद पार , गूगल लोकेशन के सहारे उड़ेगा हवाई जहाज

हवाई जहाज भी अब गूगल लोकेशन के सहारे उड़ान भरेगा। पहले लडाकू विमानों में मैन्युअल मैप का इस्तेमाल होता था। अब लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पायलटों के लिए यह डिजिटल मैप कई मुश्किलों को आसान करेगा। प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा निर्माता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि पायलटों को दिशा-निर्देश खोने से बचाने में मदद करने के लिए भारतीय लड़ाकू जेट जल्द ही डिजिटल मानचित्रों से लैस होंगे। इस मैप से अब कोई भी पायलट गलती से सरहद पार नहीं करेगा।

एचएएल में इंजीनियरिंग और आरएंडडी के निदेशक डॉ. डीके सुनील ने कहा कि अब कोई भी पायलट गलती से सीमा पार नहीं करेगा। अब पायलट ग्रुप कैप्टन अभिनंदन की तरह रास्ता नहीं भूलेंगे। अब किसी भी पायलट के पास मैनुअल नक्शा नहीं होगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने पायलटों के लिए एक डिजिटल नक्शा तैयार किया है। इसका सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सब देश में बना है।

अब कोई विमान का पायलट रास्ता नहीं भटकेगा। उड़ान के समय में काकपिट के डिस्पले में डिजिटल मैप लगा हुआ होगा। इसकी नेविगेशन की मदद से पायलट को पता रहेगा कि उसकी लोकेशन कहां हैं। इसके साथ ही वह यह भी बताया कि वह किस दिशा आगे बढ़ रहे है। यह देसी मैप एरिया के साथ पहाड़ी इलाके के बारे में भी जानकारी देगा। यह सिस्टम से पायलट को पता चल जाएगा कि एयरक्राफ्ट को किस ऊंचाई पर रखना है और कहां तक नीचे जा सकते हैं।

डीके सुनील ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि पायलट उड़ान भरते समय अपने कॉकपिट डिस्प्ले पर मानचित्र की जांच कर सकेंगे और इससे नेविगेशन में मदद मिलेगी। नक्शा 2डी और 3डी में उपलब्ध होगा। अगर पायलट पहाड़ी इलाके में होंगे तो उन्हें पहले ही अलर्ट कर दिया जाएगा। इससे ऊंचे पहाड़ी इलाकों में दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाएगी। डिजिटल मानचित्र दुश्मन के सैन्य ठिकानों और वायु रक्षा प्रणालियों के बारे में भी बताएगा। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मानचित्र भारत में डिजाइन और उत्पादित किए जाते हैं।

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