NSA अजीत डोभाल कल करेंगे चीन का दौरा, जानें इसके पीछे क्या है मकसद

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल 17 दिसंबर, मंगलवार से चीन के दौरे पर जाएंगे। इस यात्रा का प्रमुख उद्देश्य भारत और चीन के बीच Line of Actual Control (LAC) पर चल रहे विवाद पर चर्चा करना है। डोभाल चीन में दो दिनों तक चलने वाली विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में हिस्सा लेंगे, जहां भारत और चीन के बीच सीमा विवाद से संबंधित अहम मुद्दों पर बात होगी। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

5 साल बाद हो रही है विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता

भारत और चीन के बीच यह वार्ता 5 साल बाद हो रही है। इससे पहले, दिसंबर 2019 में दोनों देशों के बीच आखिरी बार विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता हुई थी। इसके बाद 2020 में गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया था। अब, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए यह वार्ता अहम है।

गलवान घाटी के बाद पहली बार हो रही है वार्ता

2020 में हुई गलवान घाटी की झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास ला दी थी। गलवान में भारतीय सैनिकों और चीनी सैनिकों के बीच हुई इस झड़प में कई सैनिकों की मौत हुई थी, जो एक बड़ा विवाद बन गया था। इस घटना के बाद भारत और चीन के रिश्ते और सीमा पर तनाव बढ़ गया था, और दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के कई मामले सामने आए थे। अब इस खास वार्ता को लेकर उम्मीद जताई जा रही है कि इससे LAC पर तनाव कम करने में मदद मिलेगी और विवाद का शांतिपूर्ण समाधान निकाला जा सकेगा।

वार्ता का मुख्य उद्देश्य: LAC के मुद्दे का स्थायी समाधान

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, विशेष प्रतिनिधि स्तर की इस वार्ता का उद्देश्य LAC के मुद्दे को लेकर एक गहरी और व्यापक समझ को बढ़ावा देना है। इस वार्ता में दीर्घकालिक समाधान की रूपरेखा तैयार करने की कोशिश की जाएगी, ताकि भविष्य में सीमा पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। भारत और चीन के बीच यह वार्ता काफी अहम है, क्योंकि दोनों देशों के रिश्तों में तनाव को देखते हुए एक स्थिर और शांतिपूर्ण समाधान की तलाश जरूरी हो गई है।

नई दिल्ली में आयोजित हुई थी अहम बैठक

भारत और चीन के बीच यह वार्ता नई दिल्ली में हुई वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) बैठक के बाद आयोजित की जा रही है। इस बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर सहमति बनी थी, जिसके बाद यह विशेष वार्ता हो रही है। भारत और चीन के द्विपक्षीय रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में सीमा पर तनाव की वजह से खटास का शिकार हुए हैं। इसलिए इस वार्ता का उद्देश्य सिर्फ सीमा विवाद को सुलझाना ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों को भी फिर से सामान्य बनाना है।

चीन यात्रा के दौरान डोभाल करेंगे महत्वपूर्ण बैठकें

इस विशेष वार्ता के दौरान, अजीत डोभाल चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ भी चर्चा करेंगे। यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि वांग यी चीन के प्रमुख राजनयिक हैं और उनके साथ बैठक के जरिए भारत और चीन के बीच उच्चस्तरीय संवाद स्थापित करने की कोशिश की जाएगी। डोभाल की इस यात्रा को दोनों देशों के रिश्तों को एक नई दिशा देने के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि LAC पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच विवादों का असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ा है।

क्या है विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता?

विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता में दोनों देशों के शीर्ष सुरक्षा सलाहकार और अधिकारियों के बीच मुलाकात होती है। यह वार्ता विशेष रूप से सीमा विवाद, सैन्य मामलों और राजनयिक रिश्तों से संबंधित होती है। खासकर जब दोनों देशों के बीच कोई बड़ा विवाद हो, तो इस तरह की वार्ता आयोजित की जाती है ताकि दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य करने और सीमा विवाद को हल करने की दिशा में कदम उठाए जा सकें।

क्या है LAC पर भारत-चीन विवाद का समाधान?

LAC यानी Line of Actual Control वह रेखा है, जो भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का निर्धारण करती है। यह सीमा रेखा 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद से विवाद का केंद्र रही है। गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद यह विवाद और भी बढ़ गया था। हालांकि, दोनों देशों ने इस विवाद को शांति से सुलझाने की दिशा में कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन LAC पर स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है। इस तरह की वार्ताएं दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने और सीमा पर स्थिरता बनाए रखने में मदद कर सकती हैं।

भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की उम्मीद

अजीत डोभाल की इस यात्रा को लेकर भारत और चीन दोनों ही देशों में उम्मीदें हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति न बने और सीमा पर तनाव कम हो, इसके लिए यह वार्ता महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। इस वार्ता के सफल होने से अगली कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता का रास्ता भी साफ हो सकता है, जिससे सीमा पर शांति बनाए रखने की प्रक्रिया और तेज हो सकेगी।

इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार और सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक नया कदम उठाया जा सकता है।

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