भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने अपनी पहली स्पेन यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की और भारत और स्पेन के बीच साझेदारी को और मजबूत बनाने के संकेत दिए। दो दिवसीय इस दौरे का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि इससे दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों में न केवल गहराई आएगी, बल्कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच सहयोग के नए अवसर भी बनेंगे। आइए जानते हैं इस दौरे की अहमियत और इसके पीछे की कहानी।
भारत और स्पेन के बीच बढ़ती साझेदारी
एस. जयशंकर ने इस यात्रा के दौरान कहा कि भारत यूरोपीय यूनियन (EU) के साथ एक मजबूत साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है और वह इस साझेदारी को भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भी और गहरा करने की योजना बना रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि स्पेन में करीब 230 भारतीय कंपनियां सक्रिय हैं और दोनों देशों के बीच लगभग 10 अरब यूरो का व्यापार होता है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की दिशा में काफी संभावनाएं हैं।
जयशंकर ने स्पेन के विदेश मंत्री जोस मैनुअल अल्बेरेस के साथ बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए यह भी कहा कि भारत और स्पेन के बीच व्यापार, रक्षा, सुरक्षा, शहरी विकास, स्मार्ट सिटी, डिजिटल टेक्नोलॉजी और हरित (ग्रीन) तकनीकों के क्षेत्रों में बड़े अवसर हैं। इस यात्रा से भारत और स्पेन के बीच व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को एक नई दिशा मिलने की संभावना है।
रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में मजबूत सहयोग
जयशंकर और स्पेन के विदेश मंत्री अल्बेरेस के बीच इस दौरे के दौरान खासतौर से रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत और स्पेन की सेनाओं के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता है। इसके तहत, दोनों देशों ने तय किया कि वे अपने सैन्य और रक्षा संबंधों को मजबूत करेंगे और संयुक्त सुरक्षा उपायों पर काम करेंगे।
भारत और स्पेन का मानना है कि सुरक्षा सहयोग बढ़ाने से दोनों देशों को वैश्विक सुरक्षा के मुद्दों पर और प्रभावी रूप से काम करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, भारत ने यह भी कहा कि स्पेन के साथ रक्षा सहयोग क्षेत्र में भारत के लिए कई नए अवसर खुले हैं, जो आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच और बढ़ेंगे।
2026 में भारत-स्पेन साझेदारी को मिलेगा नया आयाम
एस. जयशंकर ने बताया कि दोनों देशों ने फैसला किया है कि 2026 को “संस्कृति, पर्यटन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का साल” घोषित किया जाएगा। इस पहल से न केवल दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ेगा, बल्कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के करीब आएंगे। उन्होंने बताया कि एआई के क्षेत्र में सहयोग से भारत और स्पेन के तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र में भी एक नई क्रांति आएगी। साथ ही, यह साझेदारी यूरोपीय यूनियन और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में भी प्रभावी रहेगी।
भारत की भूमध्य सागर में बढ़ती भूमिका
जयशंकर ने अपनी स्पेन यात्रा के दौरान भारत की भूमध्य सागर में बढ़ती भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत को भूमध्य सागर में अपनी भूमिका को और मजबूत करना चाहिए, क्योंकि यह क्षेत्र वैश्विक राजनीति और व्यापार के लिहाज से महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में भारत की सक्रियता से न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी फायदे होंगे।
भारत के शांति सैनिकों की तैनाती के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय शांति सैनिक आज भी लेबनान और गोलान हाइट्स में तैनात हैं और वहां पर भारत की अहम भूमिका है। यह भारत की शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, और स्पेन के साथ साझेदारी भी इस दिशा में अहम कदम है।
अमेरिका और भारत के रिश्तों पर जयशंकर का बयान
एस. जयशंकर ने अपनी स्पेन यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के रिश्तों पर भी बयान दिया। उनका कहना था कि वह विश्वास करते हैं कि आने वाले समय में भारत और अमेरिका के रिश्ते और मजबूत होंगे। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की संभावना है। जयशंकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों के रिश्ते और अच्छे होंगे और उनकी सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।