भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रहा है। 15 जनवरी को भारतीय नौसेना को एक और बड़ा टक्कर मिलने जा रहा है। इस दिन दो स्वदेशी रूप से निर्मित युद्धपोत और एक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किए जाएंगे। इन प्लेटफार्मों को भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और सामरिक ताकत को बढ़ावा देने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।
यह कदम भारतीय नौसेना की युद्ध क्षमता को बढ़ाने और दुनिया में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में होने वाले इस कार्यक्रम में जो नए प्लेटफार्म शामिल हो रहे हैं, वो न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दिखाएंगे, बल्कि यह स्वदेशी निर्माण को भी प्रमोट करेंगे।
दो अत्याधुनिक युद्धपोत और एक पनडुब्बी
भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने वाले प्लेटफार्मों में शामिल हैं:
- सूरत (Guided-Missile Destroyer)
- नीलगिरी (Stealth Frigate)
- वाग्शीर (Diesel-Electric Submarine)
इन तीनों प्लेटफार्मों को मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) में निर्मित किया गया है, जो भारतीय शिपबिल्डिंग और रक्षा क्षेत्र की बढ़ती ताकत का प्रतीक है। इन प्लेटफार्मों में नए हथियारों और सेंसर से लैस करने के साथ-साथ इन्हें नौसेना की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर तैयार किया गया है।
महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए विशेष व्यवस्था
इन युद्धपोतों और पनडुब्बियों में एक खास बात ये है कि भारतीय नौसेना ने महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए भी विशेष व्यवस्थाएं की हैं। यह कदम भारतीय नौसेना की अग्रिम पंक्ति की लड़ाकू भूमिकाओं में लैंगिक समावेशन की दिशा में उठाए गए कदमों के तहत है। महिलाओं को भी इन अत्याधुनिक युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी।
युद्धपोतों का निर्माण
सूरत (Destrroyer)
सूरत प्रोजेक्ट 15B के तहत तैयार किया गया है और यह कोलकाता क्लास (Project 15A) डेस्ट्रॉयर का उन्नत संस्करण है। सूरत में सुधार किए गए डिजाइन और क्षमताओं के चलते यह भारतीय नौसेना के लिए एक अहम ताकत बनने वाला है।
नीलगिरी (Frigate)
नीलगिरी ‘प्रोजेक्ट 17A’ के तहत निर्मित किया गया है और यह सात फ्रिगेट्स की सीरीज का पहला जहाज है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें स्टेल्थ फीचर्स दिए गए हैं, यानी यह दुश्मन के रडार से छिप सकता है। इसके चलते यह जहाज दुश्मन से बचते हुए अपने मिशन को पूरा करने में सक्षम होगा।
इन दोनों जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है और इनमें उन्नत हथियार और सेंसर पैकेज लगाए गए हैं। इनके संचालन के लिए आधुनिक हेलीकॉप्टर सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिससे ये कई प्रकार के हेलीकॉप्टर जैसे चेतक, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर, सी किंग और एमएच-60आर को ऑपरेट कर सकते हैं।
वाग्शीर पनडुब्बी: एक और ताकत
वाग्शीर (Submarine)
वाग्शीर स्कॉर्पीन क्लास की छठी पनडुब्बी है, जिसे प्रोजेक्ट 75 के तहत तैयार किया गया है। यह पनडुब्बी अपनी श्रेणी की सबसे शांत और बहुमुखी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी मानी जाती है। इसे खास तौर पर एंटी-सरफेस और एंटी-सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने, क्षेत्र की निगरानी और विशेष अभियानों के लिए डिजाइन किया गया है।
इस पनडुब्बी के जुड़ने से भारतीय नौसेना की पानी के अंदर की शक्ति और भी बढ़ जाएगी, क्योंकि यह अपनी क्षमता और चुपचाप संचालन के कारण दुश्मन से बचते हुए अपनी रक्षा कार्यों को पूरा करने में सक्षम होगी।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
यह कार्यक्रम भारतीय रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। जहां एक ओर इन युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण से भारतीय शिपबिल्डिंग और निर्माण क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर इससे भारत के रक्षा उत्पादन में भी एक नई दिशा मिलेगी। भारतीय नौसेना ने इन प्लेटफार्मों को अपनी प्रौद्योगिकी, उपकरणों और सेंसर से लैस किया है, जिससे यह अपने मिशन को पूरी तरह से सफल बना सकेगी।
ये प्लेटफार्म न केवल भारतीय नौसेना की शक्ति को बढ़ाने वाले हैं, बल्कि यह भारत के रक्षा निर्माण में प्रगति को भी दर्शाते हैं। इससे यह साबित होता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में अपनी खुद की ताकत बना चुका है और स्वदेशी रूप से अपनी सेनाओं को मजबूत करने में सक्षम है।