मजदूरों का भाड़ा…चढ़ गया सियासी पारा…सोनिया ने चला धोबी पछाड़;पढ़ें- पूरा मामला

नई दिल्ली, राजसत्ता एक्सप्रेस। कोरोना काल में कांग्रेस अपने खोए हुए अस्तित्व को फिर से जीवित करने में जुटी हुई है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए रेल किराए का भुगतान करने की घोषणा करके एक बड़ा सियासी दांव चला है। उनके इस दांव ने बड़ा सियासी बंवडर तैयार कर दिया है। कांग्रेस सूत्रों की मानें, तो सोनिया के इस मास्टरस्ट्रोक के पीछे पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की मंत्रणा है। बहरहाल, जो भी है, लेकिन इस दांव के बाद केंद्र सरकार बैंकफुट पर नजर आ रही है। ये मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि अब रेलवे को भी सफाई देने सामने आना पड़ा है।

सोनिया गांधी के इस ऐलान के बाद बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर ये बताया कि इस मुद्दे पर उनकी रेल मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत हुई है और रेल किराये का भुगतान केंद्र और राज्य की सरकारें मिलकर करेंगी। अपने इस ट्वीट में उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों के रेल किराए का 85 फीसदी का भुगतान केंद्र सरकार और बाकी 15 फीसदी का भुगतान राज्य सरकारें करेंगी।

 

दरअसल, लॉकडाउन की वजह से विभन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए रेलवे श्रमिक ट्रेनों का संचालन कर रहा है। अब इन प्रवासी मजदूरों से किराया वसूलने को लेकर रेलवे की काफी आलोचना हो रही है। जिसके बाद अब रेलवे को सफाई देने पड़ी है। रेलवे ने कहा है कि वो मजदूरों को कोई टिकट नहीं बेच रहा है। रेलवे ने बताया कि वो प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 34 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहा है। रेलवे
सूत्रों के अनुसार, इस वर्ग के लिए ‘रेलवे राज्य सरकारों से केवल मानक किराया वसूल रहा है, जो कि रेलवे की कुल लागत का महज 15 फीसदी है। किसी भी प्रवासी को रेलवे टिकट नहीं बेच रहा है। साथ ही ये भी बताया कि प्रवासी मजदूरों की राज्यों द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के मुताबिक ही यात्रियों को यात्रा करने दिया जा रहा है।

 

सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने कहा कि इस कठिन समय में वो सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए गरीबों को आरामदायक यात्रा मुहैया करवा रहा है। मंत्रालय ने ये भी बताया कि प्रवासियों को मुक्त खाना और बोतलबंद पानी भी उपलब्ध करा रहे हैं। रेलवे ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए हर कोच में बर्थ को खाली रख रहे हैं। गंतव्य से ट्रेनें खाली वापस आ रही है।

ये तो हुई रेलवे की बात अब हम आपको बताते है आखिर सोनिया गांधी ने ऐसा क्या कहा जिसने बड़ा बवंडर खड़ा कर दिया है। सोनिया ने कहा कि मेहनतकश श्रमिकों व कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को हमारी पार्टी ने बार-बाक उठाया है। दुर्भाग्यवश न ही सरकार ने और न ही रेलवे ने हमारी सुनी। इस कारण कांग्रेस पार्टी ने ये फैसला लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च उठाएगी।

वहीं, राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार और रेलवे को निशाने पर लेते हुए ट्वीट कर कहा कि एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से टिकट का किराया वसूल रहा है और दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। इस गुत्थी को जरा समझाइए।

वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है। प्रियंका ने सवाल किया है कि नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम में 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं, तो फिर इस संकट की घड़ी में मजदूरों को मुफ्त रेल यात्रा की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा सकती?

 

इसपर बीजेपी की तरफ से कहा गया है कि रेलवे ने प्रवासी कामगारों के लिए किराये में 85 फीसदी सब्सिडी दी, शेष 15 फीसदी किराया राज्य सरकार देगी। कांग्रेस ने आरोप-प्रत्यारोप के बाद पार्टी की ओर से ये प्रतिक्रिया आई है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि संबंधित राज्य सरकार भी टिकट के लिए भुगतान कर सकती है । पात्रा ने ट्वीट कर लिखा, ‘राहुल जी केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देशों में साफ-साफ लिखा है कि किसी भी स्टेशन पर कोई भी टिकट नहीं बेचा जाएगा। रेलवे ने 85 फीसदी सब्सिडी दी है। राज्य सरकारें बाकी के 15 फीसदी का भुगतान करेगी। राज्य सरकारें टिकट के पैसों का भुगतान कर सकती हैं। मध्य प्रदेश सरकार भुगतान कर रही है। कांग्रेस शासित राज्यों में भी ऐसा ही करने को कहिए।

 

 

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