भारत ने अमेरिका के साथ जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित 31 MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के लिए 32,000 करोड़ रुपए की डील फाइनल कर दी है। यह सौदा भारतीय सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सौदे का महत्व
यह डील 31 अक्टूबर से पहले करनी जरूरी थी, क्योंकि इसके बाद भारत को इस प्रस्ताव पर और भी इंतजार करना पड़ सकता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस ड्रोन की खरीद पर चर्चा की थी, जब ‘क्वाड लीडर्स समिट’ डेलावेयर में आयोजित हुआ था।
निगरानी क्षमता में सुधार
इस समझौते में भारत में ड्रोन की रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (MRO) सुविधा की स्थापना भी शामिल है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस समझौते की कुल कीमत बढ़कर 34,500 करोड़ रुपये तक हो सकती है। इस सौदे के तहत 15 ड्रोन भारतीय नौसेना को दिए जाएंगे, जबकि शेष वायु सेना और सेना के बीच समान रूप से विभाजित किए जाएंगे।
संचालन क्षमता
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की विशेषता इसकी शांत संचालन क्षमता और स्टील्थ फीचर है। यह ड्रोन 250 मीटर की ऊंचाई पर उड़ सकता है और लक्ष्य को बिना देखे ही निशाना बना सकता है। इसकी अधिकतम गति 442 किमी/घंटा है, और यह 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
लंबी उड़ान क्षमता
MQ-9B ड्रोन बिना रीफ्यूलिंग के 2,000 मील तक उड़ सकता है और लगभग 35 घंटे तक बिना रुके उड़ान भर सकता है। यह 1,700 किलोग्राम तक का कार्गो ले जा सकता है, जिसमें चार मिसाइलें और 450 किलोग्राम तक बम शामिल हैं।
भारत इन ड्रोन को चार प्रमुख स्थानों पर तैनात करेगा: चेन्नई के पास INS राजाली, गुजरात के पोरबंदर, उत्तर प्रदेश के सरसावा और गोरखपुर।
इस डील के साथ ही भारत की रक्षा क्षमता और अधिक मजबूत होगी, जिससे सशस्त्र बलों को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाएगा।