अफगानिस्तान और तालिबान के बिगड़ते संबंध, क्या हो सकता है इस रिश्ते का भविष्य

 

अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान के मुंह जैसे खून लग गए हो , ठीक वैसे ही जैसे शेर को किसी आदम का खून मुंह लग जाता है । बात असल में तालिबान और ईरान के बीच हो रहे मतभेद की है, जो आजकल विश्व राजनीति के मानचित्र पर अलग ही रंग जमाता नजर आ रहा है।

अमेरिकी हुकूमत के अफगानिस्तान से जाने के बाद जिस तरह तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर अपनी सरकार का ऐलान किया है, वो पूरे दुनिया के नजर से कोई छुपने वाली बात नहीं है।

इस घटना के बाद तालिबान के मानो पंख निकल आए हो , और क्रूरता का नया दौर शुरू हो गया हो।

बात इस महीने के 8 तारीख की है, रमजान का पहला हफ्ता चल रहा था। ईरान के मशहद शहर में मशहूर दरगाह इमाम रज़ा जो की काफ़ी भीड़ भाड़ वाली जगह है, और रमजान के महीने के वजह से उस दिन काफ़ी भीड़ बढ़ गईं थी।

अचानक उस दिन भीड़ में से एक आदमी निकाला और मौके पर ही तीन मौलवियों पर चाकू से हमला कर मार गिराया । इस हमले में दो और लोगों की भी मौत हो गई तथा तीसरा गंभीर रूप से घायल हो गई।

यह खबर आग की तरह पूरे ईरान में पसर गया क्योंकि ईरान में दरगाह में इस तरह आतंकी हमला होना वो भी मौलवी की हत्या किया जाना । वहां मौजूद भीड़ में लोगों ने इस हमला का विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। जिसमें एक लड़का चाकू लेकर भागता हुआ नजर आ रहा था , तथा दूसरा लड़का लगातार बेरहमी से मौलवी पर चाकू से वार करता नज़र आ रहा था।

इधर इस घटना की छानबीन होने पर पकड़ा गया लड़का अफगान शरणार्थी पाया गया। गौरतलब है की तालिबान के सरकार में आने के बाद बहुत बड़ी संख्या में अफगानिस्तान से ईरान में शरणार्थियों का जाना हुआ है। संख्या इतनी बड़ी हो गई है की UN ने ईरान से अब और शरणार्थियों को लेने से मना कर दिया है ।

दरसल ईरान सिया मुसलमानो की हिमायती के लिय पूरे दुनिया में प्रसिद्ध है , और अफगान शरणार्थी में सिया मुसलमानो की तादाद ज्यादा है। क्योंकि तालिबान कट्टर सुन्नी मुसलमान सपोर्टर है, जिसके वजह से अफगानिस्तान से सिया मुसलमान शरणार्थी बनकर ईरान में शरण ले रहे है। और हमले वाली जगह पे आफान शरणार्थी शिविर है।

इस घटना के बाद ईरान में और अफगानिस्तान दोनों मुल्कों में स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन होने लगा । तथा ईरान में शरणार्थियों के साथ स्थानीय लोगो के साथ तनाव बढ़ने लगे है। अब हालत ये है कि लोगों को ना ही वर्क परमिट मिला रहा है , ना ही खाने और रहने को ठौर ठिकाना।किसी तरह जीवन का गुजारा करना पड़ रहा है, और बदले की भावना में जिंदगी बद से बदतर होती जा रही है।

इस घटना के बारे में तालिबान सरकार के तरफ से रहमान असगर, तालिबान की कल्चरल अफेयर्स कमिटी के मेंबर हैं. उन्होंने 8 अप्रैल के रोज़ एक ट्वीट कर ईरान को धमकाते हुए कहा, “अगर ईरान अफ़ग़ान लोगों को ऐसे ही दबाते रहेगा तो हमें उनके खिलाफ मिलिट्री एक्शन लेना चाहिए”।

इसके दो दिन बाद तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तक़ी ने ईरान के उच्च अधिकारियों से मुलाक़ात किया और ईरान में अफगान शरणर्थियों पर हो रहे हमले पर रोक लगाने को कहा।

हाल ऐसा है की दोनों देशों में वीडियो वायरल हो रहे है जिसमें अफगान शरणार्थी के साथ ईरानी सेना बदसलूकी करती नजर आ रही है। और ईरान में वीडियो वायरल हो रहे है उनमें अफगानिस्तान में सिया मुसलमान के साथ बदसुलूकी दिखाया जा रहा है।

इधर इसी बीच अफगानिस्तान में ईरान के दूतवास पर हमला और प्रदर्शन का भी मामला सामने आया था । जिसके बाद ईरान ने अपना दूतावास बंद कर दिया ।और इस पर ईरान में अफगानिस्तान के दूत से बातचीत की और कहा की अफगानिस्तान सुनिश्चित करे की ईरान के दूतावास पर इस तरह के हमले ना हो।

बीते दो सप्ताह में अफ़ग़ानिस्तान में शिया मुसलमानों के ऊपर दो हमले हुए हैं। एक हमला मजार-ए-शरीफ में हुआ। जिसमें 10 लोगों की जान गई, इसके अलावा दो स्कूलों को भी निशाना बनाया गया है।

इसी बीच तालिबान एक शिया मौलवी को गिरफ्त में ले लिया बजाय की वो इस हमले पर कारवाई करे। मौलवी की गलती ये थी की वो ईरान दूतावास में गुलदस्ता भेंट करने गया था।

साथ में दोनो देशों के बॉर्डर पर भी सेनाओं के बीच आपसी झड़प की भी खबरें आने लगीं जबसे तालिबान की सरकार सत्ता में काबिज़ हुई है। आपको जानकर ये हैरानी होगी की ईरान ने तालिबान को सरकार की मान्यता नहीं दिया बल्कि डिप्लोमेटिक रिलेशन कायम बनाए रखा।

ऐसी अटकलें लगाई जा रही है की तालिबान का एक राजनीतिक दल बहुत जल्द दौरे पर जाने वाला है ताकि इस मामले पर एक निष्कर्ष निकाला जा सके।

 

 

 

 

 

 

 

 

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