युद्ध हो या मंदी, सोने को हमेशा सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब भी दुनिया में किसी संकट का सामना होता है, सोने की कीमतें तेजी से बढ़ने लगती हैं। आम आदमी से लेकर सरकारें तक मुसीबत की घड़ी में सोने को खरीदकर रखती हैं और जरूरत पड़ने पर गिरवी भी रखती हैं। हाल ही में ईरान-इजराइल के बीच छिड़ी नई जंग के चलते सोने के दाम बढ़ने की उम्मीद थी। इसके साथ ही शेयर बाजार में भारी गिरावट आई, जिससे सोने की चमक और भी बढ़ गई।
क्या सोने की कीमतें 80,000 के पार जाएंगी?
ईरान-इजराइल युद्ध के चलते सोने के दाम में तेजी देखी गई, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। फिलहाल सोने की कीमतें 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा चुकी हैं। मार्केट एनालिस्ट अनुज गुप्ता के अनुसार, सोने की कीमतें 80,000 रुपये के पार जाने की संभावना है, लेकिन यह 2025 के अंत तक ही हो सकता है। 2024 के अंत तक सोने की कीमत 78,500 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास स्थिर रहने की उम्मीद है।
कमोडिटी मार्केट की स्थिति
कमोडिटी मार्केट में भी सोने के भाव उच्च स्तर पर बने हुए हैं। एमसीएक्स पर सोने का भाव 76,560 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच चुका है, जबकि गुरुवार को यह 76,244 रुपये पर बंद हुआ। 26 सितंबर को खुले बाजार में सोने की कीमत 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार कर गई थी, जो सोने की बढ़ती डिमांड को दर्शाता है।
सोने और चांदी की डिमांड में बढ़ोतरी
भारत सरकार ने हाल ही में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को कम किया है, जिससे सोने की घरेलू डिमांड में वृद्धि हुई है। फेस्टिव सीजन के चलते सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे इसकी कीमतें ऊंची रह सकती हैं। वर्तमान में सोना अपने लाइफ टाइम हाई पर है, और दिसंबर के अंत तक इसकी कीमतों में स्थिरता बनी रह सकती है।
चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड भी बढ़ रही है। चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था, सप्लाई चेन और विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सेमीकंडक्टर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिससे चांदी की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। एमसीएक्स पर दिसंबर डिलीवरी के लिए चांदी का भाव 93,480 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है।