अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले साल जनवरी में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और इससे पहले वह अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी टीम तैयार कर रहे हैं. हाल ही में ट्रंप ने एक नए मंत्रालय की घोषणा की, जिसका नाम है Department of Government Efficiency (DOGE). इस मंत्रालय की कार्यप्रणाली और उद्देश्य कुछ हद तक भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासनिक सुधारों से मिलती-जुलती है. तो क्या ट्रंप अपने प्रशासन में वही सुधार लागू करने जा रहे हैं, जो मोदी सरकार ने किए हैं?
ट्रंप का नया मंत्रालय क्या करेगा?
ट्रंप ने जो नया मंत्रालय बनाया है, वह अमेरिका की सरकार को और अधिक प्रभावी और चुस्त बनाने का काम करेगा. Department of Government Efficiency (DOGE) का मुख्य उद्देश्य अमेरिकी सरकार की नौकरशाही को सुधारना और सरकारी खर्चों में कटौती करना है. इस मंत्रालय का काम गैर-जरूरी कानूनों को खत्म करना, सरकारी एजेंसियों का पुनर्गठन करना और सरकारी दखल को कम करना होगा.
इस मंत्रालय का उद्देश्य सरकारी कामकाज को और भी कुशल बनाना है, ताकि अमेरिकी सरकार को कम खर्च में अधिक परिणाम मिल सकें. ट्रंप ने इसे एक बड़ी परियोजना के रूप में पेश किया है, जिसे वह “मैनहट्टन प्रोजेक्ट” के रूप में देखते हैं. यह वही प्रोजेक्ट है जिसके तहत द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिका ने पहला परमाणु बम बनाने की कोशिश की थी.
भारत में हुए समान सुधार
अगर इसे भारत के नजरिए से देखें, तो यह कदम कुछ हद तक भारतीय प्रशासनिक सुधारों से मिलता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गए हैं. भारत में हालांकि ऐसा कोई मंत्रालय नहीं है, लेकिन पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिनमें सरकारी कार्यों को सरल बनाना, फालतू कानूनों को हटाना, और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस को बढ़ावा देना शामिल हैं.
भारत में Minimum Government, Maximum Governance के सिद्धांत पर जोर दिया गया है, जहां सरकारी दखल को कम करने की कोशिश की गई है और सरकारी मंत्रालयों के बीच तालमेल बढ़ाने की दिशा में काम किया गया है. इसके अलावा, पेशेवर और सक्षम लोगों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया गया, ताकि सरकारी कामकाज में सुधार हो सके.
मैनहट्टन प्रोजेक्ट क्या था?
मैनहट्टन प्रोजेक्ट द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा किया गया एक महत्वाकांक्षी विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रोजेक्ट था, जिसका उद्देश्य पहला परमाणु बम बनाना था. इसमें ब्रिटेन और कनाडा का भी सहयोग था और कई प्रमुख वैज्ञानिक, जैसे जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर, आल्बर्ट आइंस्टीन, और एनरिको फर्मी शामिल थे. इस प्रोजेक्ट के तहत दो परमाणु बम बनाए गए, जो 1945 में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए थे, जिससे युद्ध का अंत हुआ.
मैनहट्टन प्रोजेक्ट ने अमेरिकी विज्ञान को एक नई दिशा दी और इसकी लागत लगभग 2 बिलियन डॉलर (उस समय के हिसाब से) थी. यह प्रोजेक्ट एक विशाल परियोजना थी, जिसने एक साथ लगभग 130,000 लोगों को रोजगार दिया था.
डोनाल्ड ट्रंप का नया मंत्रालय अमेरिकी प्रशासन में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है, जो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुधारों से काफी मेल खाता है. ट्रंप की यह योजना अमेरिकी सरकार के कामकाज को ज्यादा प्रभावी और पारदर्शी बनाने की दिशा में उठाया गया कदम लगता है. भारत में सरकार की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए किए गए कदमों की तरह ही ट्रंप का यह नया मंत्रालय भी बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकता है.