कानपुर। पाकिस्तान का आईएसआई एजेंट मोहम्मद वकास रविवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गया। दिल्ली स्थित पाक दूतावास से 14 मई को वह पाकिस्तान पहुंचेगा और अबकी बार ईद का त्योहार अपने परिवार के साथ मनाएगा। भारत में 14 साल तक रहने को उसने भगवान राम की तरह वनवास बताते हुए भारत में मिले प्यार पर कहा कि मैं इसको कभी भी नहीं भूल पाऊंगा।
पाकिस्तान के लाहौर (रावी रोड) का रहने वाला वकास अहमद उर्फ इब्राहिम खान भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखने 2005 में दिल्ली आया था। इसके बाद वह कानपुर आया और यहां पर उसका वीजा चोरी हो गया जिसके बाद वह भाग निकला। पाकिस्तानी नागरिक के गायब होने की जानकारी पर पुलिस हरकत में आई और उस पर बराबर अन्य प्रदेशों से संपर्क करती रही। इसी बीच उसने मूल रुप से औरेया के रहने वाले एक व्यापारी की बेटी से मुंबई में निकाह कर लिया और उसका औरेया आना-जाना होने लगा।
इसकी जानकारी कानपुर पुलिस को हो गयी और मई 2009 में मंधना के पास एक साइबर कैफे से बिठूर पुलिस के साथ एटीएस की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने जब उसकी तलाशी ली तो भारत का नक्शा और अन्य गोपनीय दस्तावेज बरामद हुए। इसके साथ ही सेना की गुप्त सूचनाएं भेजने का भी प्रमाण मिला और पुलिस ने उसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआईएस का एजेंट मानकर उसे कानपुर जेल भेज दिया गया।
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बाद में न्यायालय ने सबूतों के आधार पर उसे 10 साल की सजा सुनाई। करीब दो माह पूर्व उसकी सजा पूरी हो गयी और बिठूर पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया। बिठूर पुलिस ने उसे वापस पकिस्तान भेजने की कार्यवाही दिल्ली स्थित दूतावास के जरिये शुरू कर दी। बिठूर थानाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार को भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने फोन पर वकास को 14 मई को वाघा बार्डर पर छोड़े जाने की जानकारी दी। इसके बाद शनिवार को लिखित आदेश आया और लिखा पढ़ी करने के बाद रविवार को उसे पुलिस और एलआईयू की टीम पुलिस लाइन लाई और दस्तावेज तैयार कर दिल्ली के लिए रवाना कर दिया। एसओ ने बताया कि 14 मई को वकास बाघा बार्डर से पाकिस्तान पहुंच जाएगा और अबकी बार ईद का त्योहार अपने परिवार के साथ मनाएगा।
पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट वकास भारत में कुल 14 साल रहा और जिसमें 10 साल उसने जेल में काटे। इस दौरान उसने शिक्षा भी ग्रहण की और इग्नू से वर्ष 2014 में गणित व सोशल साइंस से परास्नातक किया। इसके साथ ही 2015 में सर्टिफिकेट फूड एंड न्यूट्रीशियन (सीएफएन) का कोर्स किया। यही नहीं जेल में वह पूरी तरह से भारतीय परिवेश में ढल गया और क्रिमिनल एक्ट, ज्योतिष की तीन किताबें और होम्योपैथी की किताब, श्रीमद भागवत गीता, चरक संहिता आदि का अध्ययन किया। जेल से छूटने के बाद दो माह से बिठूर थाने में उसने रामायण को भी पढ़ा और इसी के चलते उसने आज जाते समय अपने द्वारा भारत में बिताये गये समय को भगवान राम के वनवास से जोड़ा।
वकास ने अपने को बेकसूर बताते हुए कहा कि मैं कोर्ट का सम्मान करता हूं। भारत में मुझे जो प्यार मिला, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। मुझे भारत में बहुत अच्छा लगता है और यदि वीजा मिलेगा तो दोबारा भारत आकर कानपुर जरूर आऊंगा। वकास से जब पूछा गया कि अब अपने वतन वापसी के बाद क्या करेगा तो उसने बताया कि मेरे पिता महमूद अहमद का सूटकेस का कारोबार है। पिता के साथ सूटकेस का कारोबार करुंगा। उसने बताया कि परिवार में दो छोटे भाई वासिम और मकास है। इसके साथ मां तसनीम गृहणी है और बहन महबिस है।