बीते साल यानी 2023 में चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 जैसे जबरदस्त सफल अंतरिक्ष अभियान चलाने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने आज फिर कमाल कर दिखाया है। इसरो के वैज्ञानिकों ने सफलता से पीएसएलवी यान को प्रक्षेपित किया। इस यान से देश के पहले एक्सपोसैट यानी एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने में इसरो ने सफलता हासिल की है। एक्सपोसैट सैटेलाइट से एक्स-रे स्रोत का पता लगाया जा सकेगा और ब्लैक होल की दुनिया को भी जानने का मौका मिलेगा। इसरो का ये सैटेलाइट करीब 5 साल तक काम करेगा। इसरो ने चेन्नई से 135 किलोमीटर दूर अपने अंतरिक्ष केंद्र से आज एक्सपोसैट को लॉन्च किया है।
#WATCH | PSLV-C58 XPoSat Mission launch | ISRO launches X-Ray Polarimeter Satellite (XPoSat) from the first launch-pad, SDSC-SHAR, Sriharikota in Andhra Pradesh.
(Source: ISRO) pic.twitter.com/ws6Ik0Cdll
— ANI (@ANI) January 1, 2024
एक्सपोसैट को लॉन्च करने के लिए इसरो ने अपने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण रॉकेट यानी पीएसएलवी के सी-58 का इस्तेमाल किया। एक्सपोसैट को धरती की निचली कक्षा में स्थापित किया गया है। इस उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए रविवार से 25 घंटे की उल्टी गिनती इसरो के वैज्ञानिकों ने शुरू कि थी। यान के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के कुछ वैज्ञानिक रविवार को तिरुपति मंदिर भी गए थे। इसरो का ये मिशन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि पहली बार भारत ब्लैक होल और अंतरिक्ष में एक्स-रे पर इस एक्सपोसैट उपग्रह के जरिए शोध करने वाला है। इसरो के वैज्ञानिकों ने पहले भी अपने तमाम उपग्रहों और यान से दुनिया को भौंचक्का करने वाले नए तथ्य अंतरिक्ष में खोजे हैं। इनमें चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज भी शामिल है।
इसरो ने आज एक्सपोसैट के साथ भारत की चार अंतरिक्ष स्टार्टअप कंपनियों के उपग्रह और अन्य उपकरण भी अंतरिक्ष में भेजे हैं। इनमें माइक्रो सैटेलाइट, थ्रस्टर, छोटे इंजन और उपग्रहों को अंतरिक्ष में विकिरण से बचाने वाली तकनीकी का प्रदर्शन शामिल है। इन कंपनियों में हैदराबाद की ध्रुव स्पेस, बेंगलुरु की बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस, मुंबई की इंस्पेसिटी स्पेस लैब्स और हैदराबाद की टेक मी टू स्पेस कंपनियां हैं। इसके अलावा पहली बार पीएसएलवी के 260 टन वजन वाले रॉकेट का भी सफल परीक्षण इसरो ने किया है। इसके तीन चरण धरती पर वापस आ गए। जबकि, चौथे और अंतिम चरण को भी एक अलग उपग्रह के तौर पर इसरो ने इस्तेमाल किया है।