NRC का राजनीतिकरण करना सही नहीं : राजनाथ

नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सोमवार को जारी हुआ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मसौदा कोई अंतिम सूची नहीं है और विपक्ष को इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा, “एनआरसी में जो भी कार्य चल रहा है, वह सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हो रहा है। ऐसा कहना कि सरकार ने यह किया है और यह अमानवीय व क्रूर है..इस तरह के आरोप निराधार हैं।”

राजनाथ सिंह ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कहा, “इस तरह की बात कहना सही नहीं है।” भारत के रजिस्ट्रार जनरल ने असम के 2,89,83,677 लोगों के नाम वाला पहला मसौदा ऑनलाइन प्रकाशित किया है। गृहमंत्री ने कहा, “किसी के खिलाफ किसी दंडात्मक कार्रवाई का कोई सवाल नहीं है। एनआरसी प्रक्रिया पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ की जा रही है।”

डर का माहौल नहीं बनाने का आग्रह करते हुए राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि अगर कोई एनआरसी के पहले मसौदे से संतुष्ट नहीं है तो उस व्यक्ति को कानून के प्रावधानों के अनुसार दावों व आपत्तियों को दर्ज कराने का अवसर मिलेगा और बाद में वह विदेशी ट्रिब्यूनल में संपर्क कर सकता है।

उन्होंने कहा, “कुछ लोग अनावश्यक डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं सभी को भरोसा देना चाहता हूं कि किसी तरह की आशंका या डर की जरूरत नहीं है। कुछ गलत सूचनाएं भी फैलाई जा रही हैं।”

उन्होंने कहा,”एनआरसी प्रक्रिया निष्पक्षता के साथ की गई है। हो सकता है कि कुछ लोग जरूरी दस्तावेज जमा करने में सक्षम नहीं हो सके हों। उन्हें दावों व आपत्ति प्रक्रिया के जरिए पूरा अवसर दिया जाएगा।” राजनाथ सिंह ने कहा,”निश्चित तौर पर उन्हें न्याय मिलेगा। अनावश्यक रूप से डर पैदा करने की कोई जरूरत नहीं हैं।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा, “आज असम में एनआरसी मसौदा प्रकाशित हुआ है। मैं स्पष्ट रूप से कहता चाहता हूं कि यह सिर्फ एक मसौदा है और अंतिम एनआरसी नहीं है।” उन्होंने कहा, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यहां तक कि अंतिम एनआरसी के बाद भी हर व्यक्ति को विदेशी ट्रिब्यूनल से संपर्क करने का अवसर मिलेगा।

करीब 40 लाख लोग मसौदा सूची से बाहर हैं। एनआरसी प्रक्रिया की पहली सूची बीते साल 31 दिसंबर को जारी की गई थी, जिसमें कुल आवेदकों 3.29 करोड़ लोगों में से करीब 1.9 करोड़ लोग शामिल थे। उन्होंने कहा, “जिन लोगों के नाम एनआरसी सूची में नहीं है, उन्हें 28 अगस्त के बाद दावों व आपत्ति का अवसर मिलेगा।”

राजनाथ सिंह ने कहा, “ऐसे लोग समय सीमा के आधार पर दो-तीन महीनों में इसे दाखिल कर सकते हैं। यह समय सीमा तय होगी। इसके बाद इसके निपटान की प्रक्रिया शुरू होगी। इस पर सर्वोच्च न्यायालय फैसला लेगा। हम इसके बारे में कुछ नहीं कर सकते।” उन्होंने कहा, “दावों व आपत्तियों का निपटान उच्च प्रशासनिक स्तर पर होगा।”

सदन से अपील करते हुए मंत्री ने कहा, “यह बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। हर किसी को अपना समर्थन देना चाहिए। मैं इसे स्पष्ट करना चाहता हूं कि ..आप अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं..लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि सरकार कुछ नहीं कर रही है..हर चीज सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हो रही है।”

उन्होंने कहा, “अगर आप ऐसा कहते हैं..तो मैं सदन से आग्रह करता हूं कि विपक्ष को यह निर्णय करना चाहिए कि सरकार की भूमिका क्या हो।” उन्होंने कहा कि निराधार आरोप नहीं लगाएं। इस तरह के संवेदनशील मुद्दे का अनावश्यक राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

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