बीते जमाने की बात हो गया देशी आम

लखनऊ: जेठ का महीना गुजर रहा है। पर बाजार में कही भी पके हुये देशी आम नही दिखाई पड़ रहे है। दरअसल इसका कारण यह है फसल का न आने के साथ-साथ धीरे देशी आम के बागो का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले कुछ समय में इसका अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा। ज्ञात हो राजधानी की बढ़ती आबादी और दशहरी आम की नकदी देशी आम के बागों की निगलती चली जा रही है।

ग्रामीण में देशी आमों की बाग गिनी चुनी ही दिखाई देती है। देशी आमों के विशाल काय वृक्ष अब फुटकर में दिखाई देते है। लखनऊ-हरदोई राजमार्ग के चौड़ी होने के कारण हजारों की संख्या में देशी पेड़ो को काटा जा चुका था। एक जमाना ऐसा था कि सीजन में घर में आने वाले लोगों का स्वागत बाल्टी भर के देशी आमों से होता था। गॉव की महिलायें विभिन्न प्रकार का आचार और आम आमवट देशी आमों से बनाने में लगी रहती थी। लगभग हर घर में कली, किलहा, लोनाचार, गुडही, शिरका व कैरी जैसे आचार की अलग-अलग हडिया मिट्टी का बर्तन होती थी।

किशोरी से दरिंदगी के बाद भी पीड़ित परिवार काट रहा थाने का चक्कर

जेठ माह के मगल से पहले टपका चूसना शुरू कर देते थी कुछ घरों में तो नमक के पानी वाले बड़े घडो में पके आमो को रखकर सुरक्षित कर लेते थे। जो काफी दिनो तक चलते थे आम खत्म होने के बाद भी इन देशी आमो का मजा लेते थे । देशी आम के पेड़ो खत्म होने के बारे में बुर्जगों में र्चचा की तो सभी का दर्द झलक आया रहीमाबाद के 70 साल के रामबलाक यादव का कहना है यदि देशी आमों के प्रति सरकार और समाज जागरूक न हुआ तो आने वाली पीढ़ी में देशी आम देखने को ही नही मिलेगा।

फत्तेपुर निवासी 60 साल के सिराज बेग ने बताया कि यह बड़े दुर्भाग्य का बात है। कि किसान व बागवान देशी आम के पौधों को लगाना ही नही चाहते है। जबकि देशी आम बहुत गुणकारी है। लालूहार निवासी प्रेम यादव बताते है। देशी आम स्वाद और लाभ सिर्फ खाने वाला ही जानता है। कलमी दशहरी आम ज्यादा खाने से पेट भी खराब हो जाता है। पूर्व प्रधान बाबूराम कहते है। देशी आम खाने के लिए तो दूर की बात है।

अब तो अचार के लिए कलमी आम लेना पड़ता है। किस्में देशी टूहरू, गुल्ली, छोटा, कमगूर्दे वाला गोला बडे आकार का गोला सिदूरिया-सुर्ख लाल लम्बा चोचनहा नीचे नोक वाला लम्बी बेलहा बेल की खुशबू वाला चौपिहा अधिक चोपी वाला खतुआ-बेहद खट्टापन के बाद भी लम्बोडिया -दशहरी के आकार व साइज स्सकरहा दरउवा मोटे छिलके का मीठा भदैला- जो भादां माह में पकना शुरू होता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

[td_block_social_counter facebook="tagdiv" twitter="tagdivofficial" youtube="tagdiv" style="style8 td-social-boxed td-social-font-icons" tdc_css="eyJhbGwiOnsibWFyZ2luLWJvdHRvbSI6IjM4IiwiZGlzcGxheSI6IiJ9LCJwb3J0cmFpdCI6eyJtYXJnaW4tYm90dG9tIjoiMzAiLCJkaXNwbGF5IjoiIn0sInBvcnRyYWl0X21heF93aWR0aCI6MTAxOCwicG9ydHJhaXRfbWluX3dpZHRoIjo3Njh9" custom_title="Stay Connected" block_template_id="td_block_template_8" f_header_font_family="712" f_header_font_transform="uppercase" f_header_font_weight="500" f_header_font_size="17" border_color="#dd3333"]

Latest Articles