उत्तर प्रदेश के झांसी जिले स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात को एक बड़ा हादसा हो गया। शिशु वार्ड (Neonatal Intensive Care Unit) में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की जान चली गई, जबकि 17 अन्य घायल हो गए। यह दर्दनाक घटना 16 नवंबर की रात करीब 10:45 बजे हुई, जब शिशु वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण आग भड़क उठी।
आग लगने से मच गई अफरा-तफरी
आग लगने के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई, जहां अस्पताल के कर्मचारियों और मरीजों के परिजन तुरंत बाहर भागे। इस दौरान, दमकल की टीम मौके पर पहुंची और आग पर काबू पाया। फायर ब्रिगेड की टीम ने तत्परता से 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला, जबकि 5 अन्य बच्चों को दूसरे अस्पतालों में इलाज के लिए भेजा गया। हादसे में 10 बच्चों की मौत हो गई और 17 बच्चे घायल हो गए, जिन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता दी गई।
मुख्यमंत्री ने दी जांच के आदेश, सख्त कार्रवाई की चेतावनी
इस हृदयविदारक घटना के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा दुख व्यक्त किया और घटना की जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार घटना के कारणों का पता लगाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी और यदि किसी की लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।
“यह घटना अत्यंत दुखद है और मैंने अधिकारियों को तुरंत राहत कार्य शुरू करने का निर्देश दिया है। घटना के कारणों की जांच की जा रही है और किसी भी तरह की लापरवाही मिलने पर जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी,” मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा।
तीन स्तरों पर होगी जांच
इस दर्दनाक घटना के बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और स्वास्थ्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने अस्पताल का दौरा किया और घटना की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि अस्पताल में पहले ही फरवरी में फायर सेफ्टी ऑडिट हुआ था और जून में मॉक ड्रिल भी की गई थी। इसके बावजूद यह हादसा कैसे हुआ, इसके कारणों की गहन जांच की जाएगी। इस मामले की जांच तीन स्तरों पर होगी – पहले स्वास्थ्य विभाग द्वारा, दूसरे पुलिस प्रशासन द्वारा, और तीसरे मजिस्ट्रेट स्तर पर।
प्रधानमंत्री ने भी व्यक्त किया दुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया और इसे “मन को व्यथित करने वाला” बताया। उन्होंने ट्वीट किया, “यह हादसा अत्यंत दुखद है। राज्य सरकार की देखरेख में स्थानीय प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है। इस दुर्घटना में जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।”
अस्पताल की सुरक्षा मानकों पर सवाल
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, जो 1968 में स्थापित हुआ था, बुंदेलखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। इस अस्पताल में रोजाना बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज किया जाता है और महत्वपूर्ण मेडिकल सेवाएं प्रदान की जाती हैं। घटना के बाद यह सवाल उठने लगा है कि अस्पताल में सुरक्षा मानकों और फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल की प्रभावशीलता पर पुनः विचार किया जाएगा। अस्पताल प्रशासन ने पहले ही फायर सेफ्टी ऑडिट और मॉक ड्रिल की बात की थी, फिर भी यह हादसा हो गया, जिससे अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर नए सिरे से ध्यान देने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
गंभीर जांच की प्रक्रिया जारी
झांसी के SSP सुधा सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी घायल बच्चों को तत्काल चिकित्सा सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को अस्पताल से ले गए हैं, जबकि बाकी बच्चों को दूसरे अस्पतालों में भेजा गया है। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि आग कैसे लगी और क्या इसमें कोई लापरवाही थी।
इस घटना ने एक बार फिर अस्पतालों में सुरक्षा मानकों और फायर सेफ्टी प्रोटोकॉल की अहमियत को उजागर किया है। अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को सख्त किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस घटना के लिए जिम्मेदार किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।