“बंटेंगे तो कटेंगे” का नारा: बीजेपी खेमे में बंटा विरोध, लेकिन झारखंड में बनी चुनावी रणनीति

नई दिल्ली/रांची: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिया गया विवादित नारा “बटेंगे तो कटेंगे” इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी के इस नारे का महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में एनडीए के भीतर विरोध हो रहा है, वहीं झारखंड में इसे चुनावी रणनीति के तौर पर अपनाया जा रहा है। योगी के इस बयान ने जहां एक ओर राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई, वहीं कुछ राज्यों में इसे नकारा भी गया, जबकि झारखंड में इसे बीजेपी के जीतने का मंत्र माना जा रहा है।
महाराष्ट्र और यूपी में विरोध
योगी आदित्यनाथ के नारे का महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में एनडीए के भीतर विरोध बढ़ रहा है। एनडीए के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, बीजेपी नेता पंकजा मुंडे, और उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं ने इस नारे का विरोध किया है। यहां तक कि अजित पवार ने भी इस पर आपत्ति जताई है। इन नेताओं का मानना है कि ऐसे नारे समाज में विभाजन और नफरत को बढ़ावा देते हैं।
झारखंड में नारे का समर्थन
वहीं, झारखंड में बीजेपी ने इस नारे को पूरी तरह से अपनाया है और इसे चुनावी रणनीति बना लिया है। झारखंड के बीजेपी नेता इस नारे को मंचों पर बार-बार दोहरा रहे हैं। रांची के विधायक और बीजेपी नेता सीपी सिंह ने तो इसे अपनी चुनावी प्रचार सामग्री में शामिल किया और यहां तक कि अपने आवास पर एक सेल्फी प्वाइंट भी बनवाया, जहां लोग “बटेंगे तो कटेंगे” के नारे के साथ फोटो खिंचवा रहे हैं।
सीपी सिंह ने इस नारे को लेकर कहा, “हम आपस में बट गए थे, तभी तो देश का विभाजन हुआ था। अगर हम एक रहते तो पाकिस्तान नहीं बनता।” इसके साथ ही बीजेपी के अन्य नेता भी इस नारे का समर्थन कर रहे हैं और इसे चुनावी अभियान का हिस्सा बना रहे हैं।
एनडीए और विपक्षी दलों का विरोध
झारखंड में इस नारे का विरोध सिर्फ बीजेपी के विरोधियों की ओर से ही नहीं हो रहा है, बल्कि कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और आरजेडी जैसे विपक्षी दलों ने भी इस नारे को खतरनाक और विभाजनकारी बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे समाज में विद्वेष फैलाने वाला नारा करार दिया और “डरेंगे तो मरेंगे, एक होकर देश को बचाएंगे” जैसे नारे का विरोध किया। वहीं, JMM के डॉ. महुआ माजी ने इसे बीजेपी का धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाने और वोट बटोरने का तरीका बताया।
राजद के नेताओं ने भी इसे देश के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि इस तरह के नारे से देश की एकता और अखंडता पर असर पड़ सकता है। उनका कहना था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां हर धर्म के लोग भाई-भाई हैं, इसलिए इस तरह के नारे देश के संविधान और एकता के खिलाफ हैं।
झारखंड में चुनावी एजेंडा
झारखंड के चुनावी माहौल में यह नारा बीजेपी के लिए अहम मुद्दा बन चुका है। प्रदेश में इन दिनों बांग्लादेशी घुसपैठ, आदिवासी जनसंख्या में कमी और संथाल की डेमोग्राफी में बदलाव जैसे मुद्दे चर्चा में हैं। ऐसे में “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा इन मुद्दों से जोड़कर बीजेपी अपने चुनावी अभियान को तेज कर रही है। एनडीए गठबंधन के दल जैसे AJSU, जदयू और एलजेपी भी इस नारे के समर्थन में खड़े हैं और इसे चुनावी जीत का रास्ता मानते हैं।

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