यूपी में लाशों के साथ बैठाये गये मजदूर, भड़के झारखंड के सीएम, फिर आगे जो हुआ..

प्रयागराज, राजसत्ता एक्सप्रेस। मजदूर मजबूर हैं, मौजूदा दौर इसकी तस्दीक कर चुका है। हाईवे पर हजारों किलोमीटर पैदल चलते हुये हादसों का शिकार होते मजदूरों की बेबसी की तस्वीरें रोज सामने आ रही हैं। मानवीय संवेदनाओं को ध्वस्त करते हुये औरैया हादसे से जुड़ी एक और तस्वीर सामने आई है। हादसे में मारे गये झारखंड के श्रमिकों के शवों के साथ घायल मजदूर एक ट्रक में बैठे हुये हैं और अपने घर की ओर जा रहे हैं। ये करतूत किसी और की नहीं बल्कि यूपी में प्रशासन की कारगुजारी है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक ट्वीट के बाद हंगामा हो गया। उन्होंने अपने ट्वीट में इसका जिक्र किया। सीएम के इस ट्वीट के बाद यूपी सरकार ने आनन फानन में एंबुलेंस की व्यवस्था कर शवों को भेजा।

सीएम हेमंत सोरेन ने इसे अमानवीय करार दिया। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा, ‘यह स्थिति अमानवीय और अत्यंत संवेदनहीन है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार से अपील है कि शव को सम्मान के साथ झारखंड बॉर्डर तक भेज दिया जाए।’

पूरा मामला समझिये

आपको पूरा मामला बताते हैं। बोकारो जाने वाले ट्रक के साथ ही झारखंड व वेस्ट बंगाल जाने वाले दो ट्रकों को प्रयागराज में दिल्ली हावड़ा नेशनल हाइवे पर रोका गया। बोकारो जा रहे जिस ट्रक पर आठ शवों के साथ तीन मजदूरों को बिठाए जाने की तस्वीर वायरल हुई थी, उसके साथ के बाकी दोनों ट्रकों को भी प्रयागराज के नवाबगंज इलाके में NH-2पर रोक लिया गया।

पूरे हाइवे को छावनी में तब्दील कर दिया गया और एक तरफ के रास्ते के ब्लॉक कर दिया गया। ऐसा इसलिये किया गया कि किसी को इसकी जानकारी न हो सके।

डेढ़ घंटे के बाद पहुंची एंबुलेंस
यहां करीब डेढ़ घंटे तक ट्रक खड़े रहे जिसके बाद वहां ऐंबुलेंस पहुंची और शव वाहन पहुंचे। शवों को उसमें शिफ्ट करके भेजा गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘एक ट्रक के ड्राइवर ने बताया कि शवों से इतनी तेज दुर्गंध आ रही थी कि आगे भी बैठना मुश्किल हो रहा था।’ बताया जा रहा कि करीब 17 शवों को 3 ट्रकों में भरकर झारखंड के बोकारे और पश्चिम बंगाल भेजा जा रहा था। इनमें से 12 शव झारखंड भेजे जाने थे।

औरेया हादसे में 24 मजदूरों की हुई थी दर्दनाक मौत
गौरतलब है कि 16 मई यानि शनिवार को औरैया में मजदूरों से भरे दो ट्रक देर रात नेशनल हाईवे पर टकरा गए। इसमें 24 मजदूरों की मौत हो गई थी, जबकि 40 घायल हुए थे। मजदूर चूने लदी बोरियों के नीचे ही दब गए थे। जानकारी के मुताबिक अधिकतर की मौत उनके मुंह और नाक में चूना घुसने की वजह से हुई।

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