वक्फ बिल पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठक का आज समापन हो गया, जिसमें सरकार के 14 संशोधनों को मंजूरी मिल गई, जबकि विपक्ष के सभी 44 संशोधनों को खारिज कर दिया गया। इस फैसले ने विपक्ष को करारा झटका दिया है। जेपीसी की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक हुई, जिसमें विपक्ष ने जोर-शोर से अपने संशोधन पेश किए थे, लेकिन उन सभी को अस्वीकार कर दिया गया। इस बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि अब तक कुल 44 संशोधनों पर चर्चा हुई, और इनमें से 14 को बहुमत से पारित किया गया।
विपक्ष के संशोधनों को खारिज करना और हंगामा
जैसा कि अपेक्षित था, विपक्ष के लिए यह बैठक एक बड़ा झटका साबित हुई। विपक्ष ने वक्फ बिल में 44 संशोधन पेश किए थे, लेकिन हर एक संशोधन को बहुमत से खारिज कर दिया गया। सत्ता पक्ष ने अपना पक्ष रखते हुए 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इसके बाद टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बैठक में हंगामा किया, जिससे बैठक में माहौल गरमा गया। हालांकि, अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने स्थिति को संभालते हुए बताया कि इस बैठक में सभी संशोधनों पर विचार किया गया और प्रत्येक संशोधन पर वोटिंग हुई, जिसमें विपक्ष के संशोधनों को अस्वीकार कर दिया गया।
बिल का उद्देश्य और संशोधन
वक्फ संशोधन बिल, जिसे 2024 में पेश किया गया था, 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के उद्देश्य से लाया गया था। यह बिल वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार किया गया था। वक्फ संपत्तियों के संदर्भ में पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए इस बिल में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किए गए थे। इनमें सबसे प्रमुख बदलाव था कि कोई भी संपत्ति वक्फ है या नहीं, इसका निर्धारण अब जिला कलेक्टर के बजाय राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी करेगा।
बड़े बदलाव जो जेपीसी में हुए मंजूर
वक्फ संशोधन बिल में कुछ अहम बदलावों को स्वीकार किया गया है। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण बदलाव निम्नलिखित हैं:
- वक्फ संपत्ति के निर्धारण का अधिकार: पहले यह अधिकार जिला कलेक्टर के पास था, लेकिन अब इसे राज्य सरकार के नामित अधिकारी को सौंपा गया है।
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य: इस संशोधन में बदलाव करके यह तय किया गया है कि राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। हालांकि, अब यह अनिवार्य नहीं होगा कि ये सदस्य केवल पदेन सदस्य ही हों, बल्कि नामित सदस्य भी हो सकते हैं।
- वक्फ संपत्ति का रेट्रोस्पेक्टिव असर: नया कानून रेट्रोस्पेक्टिव लागू नहीं होगा, यानी जो वक्फ संपत्तियां पंजीकृत नहीं हैं, उनके मामले में नए मानकों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।
- वक्फ दानकर्ता की योग्यता: पहले यह शर्त थी कि वक्फ संपत्ति दान करने वाला व्यक्ति पांच साल से मुस्लिम धर्म का पालन करता हो, लेकिन अब इसे और सख्त कर दिया गया है। अब यह साबित करना होगा कि वह पांच साल से एक सक्रिय मुस्लिम है, जो नमाज आदि धार्मिक कृत्य करता हो।
अगली बैठक और रिपोर्ट का अनुमोदन
जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी, जिसमें समिति अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को पूरा करेगी। अगर विपक्षी दल अपनी असहमतियों को लेकर डिसेंट नोट (मतभेद) देंगे, तो उसे भी रिपोर्ट का हिस्सा बनाया जाएगा। समिति ने अब तक लगभग 500 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है, लेकिन विपक्षी दलों के डिसेंट नोट के बाद रिपोर्ट का आकार बढ़ सकता है।
वक्फ संशोधन बिल 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया था। इसके बाद इसे जेपीसी को भेजा गया, जहां अब तक 34 बैठकें हो चुकी हैं, और कई राज्यों में जाकर इस पर चर्चा की गई है। रिपोर्ट को आगामी बजट सत्र में पेश किया जा सकता है, और इसमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं, जिनमें से 13 सदस्य विपक्षी दलों से हैं।