जस्टिस चंद्रचूड़: मामलों के बोझ तले दबी हैं अदालतें, पेंडिंग केस के निपटारों के लिए मध्यस्थता अहम

सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि हिंदुस्तान में अदालतें मामलों के बोझ के नीचे दबी हैं। केसों की पेंडिंग की घातक दर को देखते हुए, मध्यस्थता जैसा हल एक अहम उपकरण है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ पुणे में इंडियन लॉ सोसाइटी के ILS सेंटर फॉर आर्बिट्रेशन एंड मध्यस्थता (आईएलएससीए) का शुभारंभ करने के बाद संबोधित कर रहे थे। गौरतलब है कि इंडियन लॉ सोसाइटी ने अपने सौवें वर्ष में प्रवेश किया है।

पिछले 1 दशक में सभी कोर्ट में पेंडिंग केसों में हर वर्ष  2.8 फीसदी का इजाफा होता है : जस्टिस चंद्रचूड़

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जानते हैं कि इंडिया में कोर्ट बेहद बोरिंग हैं, बेहद भीड़भाड़ वाली हैं। शाब्दिक और रूपक दोनों प्रकार से। PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, 2010 और 2020 के बीच सभी कोर्ट में पेंडिंग केस में वार्षिक रूप से  2.8 फीसदी की वृद्धि हुई है। 

 

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