कैलाश गहलोत का इस्तीफा, दिल्ली चुनाव में बीजेपी की नई रणनीति?

नई दिल्ली: दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत का इस्तीफा सियासी हलकों में काफी चर्चा का विषय बन चुका है। खास बात ये है कि गहलोत के इस्तीफे में जो मुद्दे उठाए गए हैं, वे अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की रणनीति का हिस्सा बनते दिख रहे हैं। गहलोत के इस्तीफे को लेकर यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम सकते हैं। उनके इस्तीफे में उठाए गए मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, बीजेपी अब दिल्ली में अपने चुनावी एजेंडे को और मजबूत करने की तैयारी कर रही है।
इस्तीफे में उठाए गए मुद्दे
  1. दिल्ली और केंद्र के बीच लगातार टकराव
    गहलोत ने अपने इस्तीफे में यह साफ तौर पर लिखा कि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच निरंतर चल रही टकराव की वजह से दिल्ली का विकास रुक सा गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुद्दों पर केंद्र से लड़ाई में समय बर्बाद हो रहा है, और इससे दिल्ली के विकास पर असर पड़ा है। बीजेपी लंबे समय से इस मुद्दे को उठाते हुए ‘डबल इंजन’ सरकार का नारा देती रही है। कहा जा रहा है कि गहलोत के इस्तीफे के बाद बीजेपी इस मुद्दे को और जोर-शोर से दिल्ली चुनाव में उठा सकती है।
  2. शीशमहल का मुद्दा
    गहलोत ने इस्तीफे में शीशमहल जैसे विवादों का भी जिक्र किया, जो पिछले कुछ समय से चर्चा में है। बीजेपी लंबे वक्त से अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री निवास को लेकर सवाल उठा रही है, जिसे उन्होंने ‘लग्जरी हाउस’ में तब्दील करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए थे। गहलोत ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया और समुचित जवाब की मांग की। दिल्ली में बीजेपी इस मुद्दे को चुनावी हथियार बना सकती है, जैसा कि पहले भी किया जा चुका है।
  3. यमुना सफाई का सवाल
    गहलोत ने यमुना सफाई के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाए, और यमुना का पानी अब भी गंदा है। बीजेपी ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा था। यह मुद्दा बीजेपी के लिए एक बार फिर से दिल्ली चुनाव में ताकतवर कार्ड साबित हो सकता है, खासकर जब आप सरकार यमुना सफाई का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ती रही है।
बीजेपी में शामिल होने की संभावना
गहलोत के इस्तीफे के बाद सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज हो गई है कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। गहलोत जाट समुदाय से आते हैं और उन्हें आम आदमी पार्टी में मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वह सीएम नहीं बन सके और यह कुर्सी आतिशी के पास चली गई। दिल्ली बीजेपी में इस समय सीएम चेहरे के लिए कोई स्थिरता नहीं है, और पार्टी सामूहिक नेतृत्व के तहत चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। ऐसे में गहलोत को बीजेपी में सीएम चेहरा बनने का मौका मिल सकता है, जैसा कि 2015 में बीजेपी ने आप से आई किरण बेदी को सीएम उम्मीदवार घोषित किया था।
गहलोत का जेल में विवाद और ईडी-आईटी जांच
कैलाश गहलोत के बीजेपी में जाने की संभावना को और मजबूत करती है एक और वजह। 15 अगस्त को जब दिल्ली में झंडा फहराने की बारी आई, तो अरविंद केजरीवाल ने आतिशी का नाम आगे किया था, लेकिन उपराज्यपाल ने उनकी सिफारिश को नकारते हुए गहलोत का नाम आगे किया था। इसके अलावा, गहलोत पर ईडी और आईटी की जांच भी चल रही है, खासकर शराब घोटाले मामले में। ईडी द्वारा गहलोत से 5 घंटे की पूछताछ भी की जा चुकी है, जिससे उनके भविष्य को लेकर सियासी हलकों में और कयास लगाए जा रहे हैं।
दिल्ली चुनाव की तैयारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आने के साथ, बीजेपी ने गहलोत के इस्तीफे को एक सुनहरा अवसर माना है। वह पार्टी के लिए नए मुद्दों और रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। साथ ही, गहलोत के इस्तीफे और उनके उठाए गए मुद्दों से बीजेपी को दिल्ली में केजरीवाल सरकार को घेरने का एक और मौका मिल सकता है।

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