नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने की कवायद कर रही है. प्रदेश में जगह-जगह ब्राह्मण सम्मेलन करके ब्राह्मणों को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है. पार्टी महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र इस अभियान के केंद्र में है. भाजपा सरकार के दौरान ब्राह्मणों के साथ हुए अन्याय का मुद्दा उठाया जा रहा है. कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड में विकास दुबे का पुलिस इंकाउंटर और खुशी दुबे को जेल में रखने का मुद्दा उठाया जा रहा है. प्रदेश के ब्राह्मण बसपा के साथ लामबंद भी हो रहे हैं. लेकिन बसपा प्रमुख मायावती ने अब प्रदेश में सत्ता वापसी के लिए बड़ा दांव चल दिया है.
दलितों के ठोस वोट बैंक, अल्पसंख्यक, पिछड़ों और ब्राह्मणों के समर्थन के अलावा बसपा प्रमुख मायावती ने पहली बार महिला वोट बैंक पर निशाना साधा है. बसपा ने इसके लिए पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र की पत्नी कल्पना मिश्र को मैदान में उतारा है. कल्पना मिश्रा ने मंगलवार को लखनऊ में बसपा के महिला प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को संबोधित किया. इस सम्मेलन में तीन सौ से अधिक महिलाएं शामिल थी.
कल्पना मिश्रा को ब्राह्मण समाज की महिलाओं को बसपा से जोड़ने की रणनीति के तहत उतारा गया है. खुशी दुबे को इंसाफ दिलाने की बात अभी सतीश चंद्र मिश्रा कर रहे हैं. यही बात अब कल्पना मिश्रा ने उठानी शुरू कर दी है. उनकी बात के अधिक प्रभाव की उम्मीद की जा रही है क्योंकि एक महिला होने के नाते महिला के इंसाफ की बात जब वो करेंगी तो ब्राह्मण समाज की महिलाओं से जुड़ाव की संभावनाएं प्रबल हो जाएंगी.
अभी तक बसपा में महिला नेताओं की कमी रही है. बहन मायावती ही मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख के रूप महिलाओं का नेतृत्व करती रहीं. लेकिन अब कल्पना मिश्र को आगे कर महिलाओं के बीच पैठ बनाने की पहल की जा रही है. बसपा ने पहली बार आधी आबादी को लक्षित करते हुए बड़ी चाल चली है. यह चाल अगर कामयाब रही तो ब्राह्मण समाज की महिलाओं के साथ दूसरे वर्ग की महिलाओं का भी बसपा से जुड़ाव का यह अभियान बनेगा.
कल्पना मिश्रा ने अपने पति सतीश चंद्र मिश्रा की तरह ही वकालत की पढ़ाई है.लेकिन पेशे के तौर पर वो वकालत नहीं कर रही हैं. वो घर-परिवार को संभालती हैं. कन्नौज की रहने वाली कल्पना मिश्रा की शादी सतीश चंद्र मिश्रा से 4 दिसंबर 1980 को हुई थी.