कांग्रेस के ‘कन्हैया दांव’ से बिहार में किसकी बढ़ेगी बेचैनी?

बिहार में कांग्रेस ने अपनी खोई हुई सियासी जमीन को वापस पाने के लिए युवा नेता कन्हैया कुमार को आगे किया है। कन्हैया की अगुवाई में कांग्रेस 16 मार्च से ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ नामक पदयात्रा शुरू करने जा रही है। यह यात्रा पश्चिम चंपारण के भितिहरवा से शुरू होकर पटना तक जाएगी। कांग्रेस का मकसद बिहार में बेरोजगारी और पलायन के मुद्दे को उठाकर सियासी एजेंडा सेट करना है।

तेजस्वी का मुद्दा, PK की स्टाइल

कन्हैया कुमार ने जिन मुद्दों को सियासी धार देने का फैसला किया है, वे मुद्दे तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर पहले से उठाते रहे हैं। रोजगार के मुद्दे पर ही तेजस्वी यादव ने 2020 का चुनाव लड़ा था और 2025 की चुनावी पिच पर भी उसी स्ट्रैटेजी के साथ उतरने की तैयारी है। वहीं, प्रशांत किशोर ने भी बिहार में पदयात्रा करके पलायन और रोजगार के मुद्दे को उठाया था।

कन्हैया कुमार ने तेजस्वी के मुद्दे और PK की स्टाइल को अपनाकर कांग्रेस को बिहार की सियासत में फिर से प्रासंगिक बनाने की कोशिश की है।

कन्हैया कुमार की पदयात्रा का मकसद

कन्हैया कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ जिस जगह से चंपारण आंदोलन की शुरुआत की थी, उसी जगह से कांग्रेस 16 मार्च को बिहार की यात्रा शुरू करने जा रही है। इस यात्रा में शिक्षा, नौकरी और पलायन का मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया जाएगा। कन्हैया ने कहा, “बिहार के लोग पढ़ाई, दवा और कमाई के लिए बिहार छोड़ने को मजबूर हैं। बीपीएससी से जुड़े मामले को लेकर बिहार के छात्र आंदोलनरत हैं।”

कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस बिहार में अपने जनाधार को फिर से टटोलने की कोशिश कर रही है। कन्हैया कुमार की पदयात्रा इस बात का संकेत है कि पार्टी अपनी बची हुई ताकत को आंकना चाहती है। कन्हैया कुमार की गिनती कांग्रेस के सबसे युवा चेहरों में होती है और वह राहुल गांधी के करीबी नेताओं में से एक हैं।

कांग्रेस का मकसद युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ना और कन्हैया की लोकप्रियता का सियासी लाभ उठाना है।

कन्हैया की एंट्री से किसकी बढ़ेगी बेचैनी?

कन्हैया कुमार के बिहार में सक्रिय होने से लालू परिवार और गांधी परिवार के रिश्तों में खटास आ सकती है। तेजस्वी यादव नहीं चाहते हैं कि कन्हैया बिहार में सक्रिय हों। कन्हैया कुमार ने बिहार से ही छात्र राजनीति की शुरुआत की है और युवाओं के साथ उनका सीधा संपर्क है।

तेजस्वी यादव के युवा चेहरे के पैरलल कांग्रेस भी एक युवा चेहरा आगे कर अपने संगठन में युवाओं को जोड़ सकती है। यही कारण है कि नौकरी और पलायन के मुद्दे पर कांग्रेस की पदयात्रा चंपारण से शुरू हो रही है।

महागठबंधन में खटास की आशंका

बिहार में महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर राजद और कांग्रेस के बीच मामला पहले से उलझा हुआ है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के लिहाज से सीट शेयरिंग चाहती है, लेकिन आरजेडी 30 से 40 सीट ही देना चाहती है।

कन्हैया कुमार का चुनाव से पहले बिहार की सियासी पिच पर उतरने से महागठबंधन के रिश्ते में खटास आ सकती है।

बीजेपी को मिलेगा मुद्दा

कन्हैया कुमार के बिहार में आने से बीजेपी को एक बड़ा मुद्दा मिलेगा। बीजेपी कन्हैया कुमार को ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ का सरगना बताती रहती है। इस तरह कन्हैया के सक्रिय होने को बीजेपी भी मुद्दा बनाएगी, लेकिन उसकी मंशा अलग होगी।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles