कारगिल विजय दिवस: कारगिल के शौर्य को सलाम, जब भारत ने सरहद पर छुड़ाए थे PAK के छक्के

आज से ठीक 20 साल पहले सरहद पर भारत के जबाज जवानों ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाते हुए घुसपैठियों को कारगिल की पहाड़ियों से वापस खदेड़ा था इस लिए आज का दिन भारत के लिए बहोत ही गर्व और हर्षोल्लास का दिन है। हिंदुस्तान के जवानों ने पाकिस्तान पर जीत हासिल की थी। ऐसे में द्रास, करगिल की फिजाओं में एक बार फिर देशभक्ति का संगीत गूंज उठा है। क्योंकि करगिल की हवा और फिजा में देशभक्ति और शौर्य के सिवा कुछ नहीं मिलेगा।़

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने करगिल विजय दिवस के 20 साल पूरे होने के मौके पर द्रास में करगिल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वहीं बिपिन रावत का कहना है कि पीओके और Aksai Chin का जो हिस्सा हमारे नियंत्रण में नहीं है, उसको लेकर देश के राजनीतिक नेतृत्व को तय करना है कि उसे कैसे हासिल किया जाए। इसके लिए कूटनीति रास्ता अपनाना है या फिर कोई और रास्ता अपनाना है, ये सरकार को तय करना है।’

शुक्रवार को एक बार फिर शहीदों के लिए मेला लग रहा है, शहीदों के सम्मान में दूर-दूर से लोग द्रास के शहीद स्मारक में पहुंचे हैं। जहां करगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने करगिल दिवस के मौके पर शहीदों को याद किया।

दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में करगिल युद्ध हुआ था। इसकी शुरुआत हुई थी 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था। पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था।

एक बड़े खुलासे के तहत पाकिस्तान का दावा झूठा साबित हुआ कि करगिल लड़ाई में सिर्फ मुजाहिद्दीन शामिल थे। बल्कि सच ये है कि यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने भी लड़ी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने यह राज उजागर किया थ।

करगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी। इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था।

तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि करगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था। पाकिस्तान ने इस युद्ध में 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे। पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था।

आज द्रास के युद्ध स्मारक में हर किसी की जुबान पर बस भारत मां के सपूतों की वीरता के किस्से हैं। हालात बदल गए हैं, वहीं भारत ने पाकिस्तान के इस धोखे से कई सबक लिए हैं।

 

कारगिल जंग का पूरा घटनाक्रम :-

 

3 मई,1999: एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ कर कब्जा जमा लेने की सूचनी दी।

5 मई: भारतीय सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुंची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से पांच की हत्या कर दी।

9 मई: पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया।

10 मई: पहली बार लद्दाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया।

26 मई: भारतीय वायुसेना को कार्रवाई के लिए आदेश दिए गए।

27 मई: कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया, लेकिन फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता को बंदी बना लिया।

28 मई: एक मिग-17 हेलीकॉप्टर पाकिस्तान द्वारा मार गिराया गया और चार भारतीय फौजी मारे गए।

1 जून: एनएच- 1A पर पाकिस्तान द्वारा भारी गोलाबारी की गई।

5 जून: पाकिस्तानी रेंजर्स से मिले कागजातों को भारतीय सेना ने अखबारों के लिए जारी किया, जिसमें पाकिस्तानी रेंजर्स के मौजूद होने का जिक्र था।

6 जून: भारतीय सेना ने पूरी ताकत से जवाबी कार्यवाई शुरू कर दी।

9 जून: बाल्टिक क्षेत्र की 2 अग्रिम चौकियों पर भारतीय सेना ने फिर से कब्जा जमा लिया।

11 जून: भारत ने जनरल परवेज मुशर्रफ और आर्मी चीफ लेफ्टीनेंट जनरल अजीज खान से बातचीत की रिकॉर्डिंग जारी किया, जिससे जिक्र है कि इस घुसपैठ में पाक आर्मी का हाथ है।

13 जून: भारतीय सेना ने द्रास सेक्टर में तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया।

15 जून: अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परवेज मुशर्रफ से फोन पर कहा कि वह अपनी फौजों को कारगिल सेक्टर से बाहर बुला लें।

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