Karwa Chauth 2018: 27 अक्टूबर को है व्रत, यहां जानें क्या है करवा चौथ की कहानी

Karwa Chauth 2018

करवा चौथ 2018:  इस बार सुहागिनों का व्रत करवा चौथ शनिवार यानि 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिनें निराहार और निर्जन व्रत रखती हैं.  करवा चौथ का व्रत हिंदू कैलेडंर के कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. महिलाएं ये व्रत अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती है. महिलाएं इस व्रत को निर्जला रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलती हैं. इस व्रत की मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों के पतियों की उम्र लंबी होती है.

27 साल बाद ये खास संयोग

27 साल बाद इस बार करवा चौथ पर अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि का खास संयोग बन रहा है. इससे पहले ये संयोग 1991 में बना था. इस संयोग द्वारा व्रत रखने वाली महिलाओं को विशेष फल मिलेगा. वहीं ये विशेष संयोग अब 16 साल बाद आएगा.

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करवा चौथ की कहानी

एक साहूकार था और उसके 7 बेटे और 1 बेटी थी. सभी भाई-बहनों में एक-दूसरे के लिए काफी प्यार था. एक बार की बात है इन भाईयों की बहन ससुराल से मायके आई हुई थी. सभी भाई अपना व्यापार-व्यवसाय बंद करके शाम को घर आए. उन्होंने देखा की उनकी बहन काफी व्याकुल थी. जब सभी भाई खाना खाने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी खाना खाने को कहा, लेकिन बहन ने ये कहकर मना कर दिया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वो चंद्रमा देखकर और उसे अर्घ्य देकर ही कुछ खा सकती है, लेकिन वो भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है.

वहीं सबसे छोटे वाले भाई से अपनी बहन की ऐसी हालत नहीं देखी गई. वो पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी की ओट में रख देता है. दूर से देखने पर वो ऐसा लगता है जैसे चतुर्थी का चांद हो. इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद नकिल आया है, जिसके बाद उसकी बहन अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है. जैसे ही वो पहला टुकड़ा मुहं में डालती है तो उसे छींक आती है. दूसरा टुकाड़ डालते ही उसमें बाल निकल आते हैं और जैसे ही वो तीसरा टुकड़ा खाने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु की खबर आती है. ऐसे में वो बौखला जाती है और तब उसकी भाभी उसे सच्चाई बताती है और कहती है कि व्रत गलत तरीके से टूटने पर देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ही ऐसा किया है. इसके बाद करवा निश्चय करती है कि वो अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और उन्हें पुन: जीवित करेगी.

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करवा एक साल तक अपने पति के पास रहती है और उनका अंतिम संस्कार नहीं होने देती है. साथ ही उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वो एकत्रित करती जाती है. वहीं एक साल बाद फिर से करवा चौथ का व्रत आता है. उसकी सभी भाभियां व्रत रखती हैं और जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वो हर भाभी से ‘यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो’ ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर भाभी उसे ऐसा अगली भाभी से कहने को कहती है. वहीं छठे नंबर की भाभी उसे बताती है कि सबसे छोटी वाली भाभी के पति की वजह से व्रत टूटा था, तो वहीं भाभी तुम्हारे पति को दोबारा जिंदा कर सकती है.

करवा छोटी भाभी से ऐसा ही कहती है, लेकिन वो टालती है, लेकिन करवा उसे पकड़कर अपने पति को जिंदा करने के लिए आग्रह करती है. आखिरकार सबसे छोटी भाभी उसकी तपस्या देखकर पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को काटकर असमें से अमृत निकालकर उसके पति के मुंह में डाल देती है, जिससे करवा का पति ‘श्रीगणेश-श्रीगणेश’ कहते हुए उठकर बैठ जाता है और करवा को उसका पति वापस मिल जाता है.

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