वाराणसी, राजसत्ता एक्सप्रेस। भगवान शिव की नगरी काशी में जाने-माने महंतों ने सड़क पर शिवलिंग बनाकर आरती की है। काशी के अब तक के इतिहास में शायद ही किसी महंत ने सड़क पर आरती की हो। इस आरती के बाद काशी के पुजारी समाज को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। काशी विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती कई सौ सालों से होती चली आ रही है। मंदिर परिसर में काशी विश्वनाथ के महंत परिवार इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं। ऐसा क्या हुआ कि पुजारियों को सड़क पर आरती करनी पड़ी? आइये आपको इस अध्याय से जुड़े हर घटनाक्रम को विस्तार से बताते हैं…
क्या है विवाद की जड़
काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली सप्त ऋषि आरती का अलग महात्म है। इस आरती को विधि-विधान के साथ एक ही महंत परिवार कई सालों से करता आ रहा है। लेकिन गुरुवार को सप्त ऋषि आरती करने वाले महंतों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिला। प्रशासन ने महंतों पर मंदिर में जाने से रोक लगा दी थी। इससे नाराज होकर महंतों ने बीच सड़क पर ही सप्त ऋषि आरती कर दी। महंत परिवार के पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा काशी विश्वनाथ का पार्थिव शिवलिंग बनाकर बाकायदा जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक किया और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सप्त ऋषि आरती को बीच सड़क पर संपन्न किया।
टूटी सैकड़ों साल पुरानी परंपरा
अब तक सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए बाबा विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती महंत परिवार के सदस्यों द्वारा ही कराई जाती रही है, लेकिन यह परंपरा उस वक्त टूट गई, जब काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने आरती करने जा रहे महंत परिवार के पुजारियों को रास्ते में ही रोक दिया और मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक और महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्य शशि भूषण त्रिपाठी ने बताया कि उनका परिवार काशी विश्वनाथ की सप्त ऋषि आरती हजारों वर्षों से करता आ रहा है।
गुरुवार को सप्त ऋषि आरती के लिए जाते वक्त उनको मंदिर प्रशासन ने रोक दिया। उनसे कहा गया कि आप मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते, क्योंकि आपने कैलाश मंदिर के मामले में उच्च अधिकारियों से शिकायत की है। सप्त ऋषि आरती महंत परिवार के पुजारियों से कराने की परंपरा प्राचीन है। उन्होंने आगे कहा कि जब तक उनको ऐसे रोका जाएगा, तब तक वो सड़क पर सप्त ऋषि आरती करते रहेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके महंत परिवार के कैलाश मंदिर में कॉरिडोर के काम के दौरान न केवल क्षति पहुंचाई गई थी, बल्कि मूर्तियों को भी नुकसान पहुंचा गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के विस्तारीकरण के लिए केवल मकान का ही कुछ हिस्सा देने की बात हुई थी, न कि कैलाश मंदिर को। लेकिन कैलाश मंदिर को क्षति पहुंचाई गई, जिसकी शिकायत उन्होंने मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी से की थी।