वाराणसी: वाराणसी की मुख्य समस्या अभी भी यहां का सीवेज सिस्टम ( Sewage System of Varansi) ही है क्योंकि काशी आज भी दो सौ साल पुराने ब्रिटिश साम्राज्य (British Empire) द्वारा बनाये गए शाही नाले (Shahi Nala) पर ही निर्भर है. हालांकि सरकार ने शाही नाले की मरमत और नये सीवेज सिस्टम के विकास के कई सालों से काम कर रहे है पर अभी तक काम पूरा नहीं हुआ इसी का नतीजा है की जरा सी बारिश के बाद शहर में जल-जमाव (Water Lodging) की स्थिति बन जाती है. न्यूज नेशन संवाददाता सुशांत मुखर्जी ने इसका पूरा जायजा लिया.
बनारस दुनिया का सबसे पुराना शहर है इसलिए यहां की व्यवस्थाएं भी बेहद पुरानी है पर अब सरकार इसका नवीनीकरण कर रही है दरसल वाराणसी की प्रमुख समस्या सीवर की है पर यहां की सीवर व्यवस्था 200 साल पुराने शाही नाले के भरोसे है दरसल मुगलकाल के दौरान ‘शाही नाला’ को ‘शाही सुरंग’ के नाम से जाना जाता था. इसकी खासियत यह कि इसके अंदर से दो हाथी एक साथ गुजर सकते हैं. वाराणसी के अस्सी से कोनिया तक इसकी लंबाई 24 किलोमीटर बताई जाती है.
यह अब भी अस्तित्व में है इस मुगलकालीन शाही नाले को रोबोटिक कैमरों के जरिये जानकारी हासिल की गई. इसके लिए जापान इंटरनेशनल कोआपरेशन एजेंसी ने 92 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. अब जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की निगरानी में मरम्मत का काम चल रहा है. वाराणसी के आयुक्त बताते है की शाही नाला का मरमत कार्य चल रहा है कुछ देर जरूर हुई है पर काम जारी है कई ऐसे जगह है जहाँ मकान बन गए है वहां से शाही नाले तक नहीं पहुंचा जा सकता इसलिए हम दूसरे तरीके से काम कर रहे है और सिर्फ शाही नाले के भरोसे नहीं बल्कि और भी सीवेज के कार्य अंतिम चरण में है.
शाही नाले को जब बनाया गया था उस समय वाराणसी की जनसंख्या लगभग एक लाख 38 हजार थी पर आज जनसंख्या 38 लाख हो गयी है वाराणसी के कमिश्नर बताते है सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर तेजी से चल रहा है और जल्द ही वाराणसी में बिना सीवेज ट्रीटमेंट के गंगा में पानी नहीं गिरेगा और जो भी परेशानिया है जल्द ही खत्म हो जाएगी. वाराणसी में मानसून की पहली बारिश के बाद ही सीवर जाम के कारण सड़कों पर पानी जमा हो जा रहा है जबकि अभी मॉनसून पूरा बाकी है लोग कहते है सरकार काम तो कर रही पा इसका फायदा नजर नहीं आ रहा है थोड़ी सी बारिश से ही सीवर जमा होने से चारो तरफ पानी लग जा रहा है.