केरल उच्च न्यायालय ने ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट को लेकर मतवपूर्ण निर्णय दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक विवाहित महिला, जो कि अलग रहती है और उसके परिवार के पास एक जमीन है तो उसे आर्थिक रूप कमजोर वर्ग वाले आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। उसके परिवार के पास जमीन होने से वह आर्थिक रूप से मजबूत नहीं मानी जा सकती।
उच्च न्यायालय ने इस फैसले के साथ ही गांव के अफसरों को यह आदेश भी दिया कि वह याची महिला को आखिरी निर्णय दिए जाने तक सशर्त अस्थायी EWS सर्टिफिकेट जारी करे। यह आदेश याची सेंड्रा स्टीफन के आवेदन पर दिया गया है। इस आवेदन की सुनवाई कोच्चि स्थित उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच के जस्टिस वीजी अरुण कर रहे हैं। आवेदन में मांग की गई है कि उच्च न्यायालय तहसीलदार को EWS सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दे, ताकि वह एग्रीकल्चर ऑफिसर के पद के लिए 27 नवंबर को अपने प्रमाण पत्रों को प्रमाणित करा सके।
सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि सरकारी निर्देश में खास तौर पर कहा गया है कि यदि याची के परिवार के पास नगर निगम सीमा के अंदर आवासीय जमीन का टुकड़ा है, तो याची EWS सर्टिफिकेट का पात्र नहीं होगा। इस मामले में याची के परिवार के पास जमीन व उस पर निर्मित मकान है। इस पर न्यायालय ने कहा कि एक विवाहित महिला जो अलग रहती है और उसके परिवार के पास जमीन है, तो उसे EWS लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि, केंद्र सरकार ने सरकारी नौकरियों में EWS को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है।