जानें कैसा रहा अफगानिस्तान में तालिबानी शासन का पहला दिन

 अफगानिस्तान में अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो हफ्ते पहले ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. अमेरिका और इसके सहयोगियों की तरफ से प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए. तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है. जानिए अफगानिस्तान में तालिबानी शासन का पहला दिन कैसा रहा.

तालिबान ने कल तड़के काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने का दावा किया. इसके साथ ही कल पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया. हर ओर अफरा तफरी मच गई. लोग अपनी जान बचाने और तालिबान के भय से अपना ही देश छोड़ने को मजबूर हो गए.  इससे पहले राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को पहले देश छोड़ दिया था.

तालिबान लड़ाके हर तरफ से काबुल पहुंचे और शहर के चारों ओर छिटपुट गोलीबारी की कुछ खबरें आईं. बीबीसी ने काबुल में एक अस्पताल चलाने वाले एक एनजीओ की रिपोर्ट में दावा किया है कि 40 से अधिक लोग उनके अस्पताल पहुंचे हैं. ज्यादातर काराबाग इलाके से आए हैं, जहां लड़ाई हो रही है.

तालिबान ने अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात बैनर के तहत एक बयान जारी कर कहा कि समूह को अब काबुल में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है. बयान में दावा किया गया है कि अफगान पुलिस और अन्य संबंधित संस्थानों ने अपने कर्तव्यों को छोड़ दिया और चोरी, लूटपाट और अपराध को रोकने के लिए, समूह की सेना को राजधानी में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है. बयान में कहा गया कि तालिबान काबुल में अफगान बलों द्वारा छोड़े गए क्षेत्रों को सुरक्षित करेगा.

रविवार शाम दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता मुहम्मद नईम के हवाले से कहा, “हम काबुल में सभी दूतावासों, राजनयिक मिशनों, संस्थानों और विदेशी नागरिकों के आवासों को आश्वस्त करते हैं कि उन्हें कोई खतरा नहीं है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि तालिबान आंदोलन की ताकतों को काबुल और देश के अन्य शहरों में सुरक्षा बनाए रखने का काम सौंपा गया है.

पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा देश से बाहर जाने वाली उड़ानों का इंतजार कर रहे दसियों यात्रियों से खचाखच भरा हुआ था, लेकिन उन्हें कोई विमान नहीं मिला.

विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया. तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.

काबुल एयरपोर्ट पर अफरा-तफरी मचने से कम से कम सात लोगों की मौत हो गई. मृतकों में तीन अफगान नागरिक भी शामिल हैं, जो अमेरिकी वायुसेना के एक विमान के कुछ हिस्सों से लटक गये थे. कल काबुल एयरपोर्ट बंद कर दिया गया था. हालांकि अब अमेरिका के 3000 सैनिकों के पहुंचने के बाद इसे फिर से खोल दिया गया है.

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