कोलकाता में हाल ही में हुए रेप और मर्डर केस के बाद से जूनियर डॉक्टर 10 सितंबर से स्वास्थ्य भवन के बाहर धरना दे रहे हैं। उनकी मांग है कि राज्य सरकार उनकी समस्याओं को हल करे। इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शनिवार को धरने पर बैठे डॉक्टरों से मिलने पहुंचीं। उन्होंने डॉक्टरों से कहा, “मैं यहाँ मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि आपकी दीदी बनकर आई हूँ। आपके प्रदर्शन को सम्मान देती हूँ और आपकी मांगों पर गंभीरता से विचार करूंगी।”
डॉक्टरों से अपील की कि वे काम पर लौटें
ममता ने डॉक्टरों से अपील की कि वे काम पर लौटें, और भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि दोषियों को सख्त सजा दिलवाने के लिए वह सीबीआई से आग्रह करेंगी और राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों की रोगी कल्याण समितियों को भंग कर देंगी। ममता ने कहा कि यह उनकी आखिरी कोशिश है बातचीत करने की, और वह लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने में विश्वास नहीं करतीं।
अब तक, ममता सरकार डॉक्टरों को तीन बार बातचीत के लिए बुला चुकी है, लेकिन डॉक्टरों ने सरकार के प्रस्तावों को ठुकरा दिया है। डॉक्टरों ने पांच प्रमुख मांगें और चार शर्तें रखी हैं, और वे आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए रेप और मर्डर केस को लेकर 36 दिनों से हड़ताल पर हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने काम पर लौटने का आदेश दिया था
सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को डॉक्टरों को 10 सितंबर तक काम पर लौटने का आदेश दिया था, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे। उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी दखल देने की मांग की है, ताकि उनके साथी को न्याय मिले और स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार हो सके।
डॉक्टरों का आंदोलन जारी है, और 13 सितंबर को उन्होंने स्वास्थ्य भवन के बाहर एक अभया क्लिनिक खोला और मरीजों का इलाज शुरू किया। डॉक्टरों ने कहा कि वे किसी भी कठिनाई का सामना करेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। डॉक्टर सौम्या चक्रवर्ती ने कहा, “हम राजनीति नहीं कर रहे हैं, हम सिर्फ स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की मांग कर रहे हैं।”
कोलकाता में जूनियर डॉक्टरों का संघर्ष जारी है, और ममता बनर्जी ने उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की पहल की है। हालांकि, सरकार और डॉक्टरों के बीच की दूरी अब भी बनी हुई है, और यह आंदोलन अभी खत्म होता नहीं दिख रहा।