कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले के बाद पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने उनके रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दिया है। मेडिकल काउंसिल ने एक नोटिस में बताया कि उन्होंने संदीप घोष को 6 सितंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन 13 दिनों के बाद भी उनका कोई जवाब नहीं आया। इसीलिए उनका नाम रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर की सूची से हटा दिया गया है।
सीबीआई की गिरफ्त में संदीप घोष
संदीप घोष पहले ही ईडी द्वारा वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। अब उन्हें कोलकाता रेप केस में सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। इस समय वे सीबीआई रिमांड पर हैं। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के दो सदस्यों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर यह कदम उठाया गया।
प्रिंसिपल पद से इस्तीफा और नई नियुक्ति
कोलकाता रेप केस के बाद संदीप घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्हें नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बनाया गया, लेकिन विवाद खड़ा होने पर उन्हें स्वास्थ्य विभाग में ओएसडी के पद पर नियुक्त किया गया। हालाँकि, सीबीआई के आरोपों के बाद उन्हें फिर से सस्पेंड कर दिया गया।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त को हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले ने स्वास्थ्य क्षेत्र में खलबली मचा दी है। मुख्य आरोपी संजय रॉय के अलावा, अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस थाने के थाना प्रभारी अभिजीत मंडल से सीबीआई लगातार पूछताछ कर रही है। इस घटना के बाद से चिकित्सकों में भारी आक्रोश है, जिसके चलते राज्य के जूनियर डॉक्टर लगातार हड़ताल पर हैं।
डॉक्टरों की हड़ताल का हाल
एक दिन पहले, प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत के साथ बैठक की। यह बैठक लगभग दो घंटे तक चली, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। डॉक्टरों ने कहा कि वे हताश और निराश हैं, क्योंकि उनकी मांगे पूरी नहीं हुईं। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे हड़ताल वापस लेना चाहते हैं, लेकिन सरकार से लिखित आश्वासन न मिलने के कारण उन्होंने हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज के चौथे मंजिल के सेमिनार हॉल में 9 अगस्त की सुबह 31 वर्षीय महिला डॉक्टर का शव अर्ध नग्न अवस्था में मिला था। मृतका चेस्ट मेडिसिन विभाग की स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा थीं और प्रशिक्षु डॉक्टर थीं। प्रारंभिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हुई है, जिससे मामला और भी गंभीर हो गया है।
सुरक्षा की मांग
इस घटना ने चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। डॉक्टरों का आरोप है कि सरकार ने उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसलिए, वे अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलता।
कोलकाता का यह मामला न केवल एक गंभीर अपराध है, बल्कि यह चिकित्सा समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस स्थिति का समाधान होना अत्यंत आवश्यक है ताकि चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सुरक्षित माहौल में कर सकें।