उप्र की मीरापुर विस सीट से पत्नी को क्यों लड़ाना चाहते हैं कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन?

लखनऊ: क्या भाजपा के खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के विवादित बयानों के पीछे बसपा से पत्नी श्रीमती देवयानी सिंह के लिए उप्र की मीरापुर विधानसभा से टिकट पाने की रणनीति है? भाजपा के सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की रिक्त मीरापुर विधानसभा सीट कुंवर प्रणव चैंपियन के विधानसभा क्षेत्र खानपुर से सटी है। इस सीट से इस वक्त दिग्गज गुर्जर नेता अवतार सिंह भडाना भाजपा के विधायक थे, जो कि भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं और हरियाणा की फरीदाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

माना जा रहा है कि मीरापुर में गुर्जरों की खासी तादाद के चलते खानपुर विधायक इस सीट को अपनी पत्नी के लिए मुफीद मान रहे हैं और आने वाले दिनों में होने वाले उपचुनाव में अपनी पत्नी को बसपा के टिकट से लड़ाना चाहते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यही वजह है कि वह भाजपा के कोई विवादित बयान न देने की ताकीद के बाद भी पार्टी के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि भाजपा इस अनुशासनहीनता को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेगी और इस तरह वह चाहते हैं कि वह खुद भाजपा न छोड़ें बल्कि भाजपा ही उन्हें पार्टी से निकाल दे।

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ऐसे में उनकी विधायकी भी सुरक्षित रह सकती है। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि इस मामले में भाजपा चाहे तो उनकी विधानसभा की सदस्यता भी खत्म करा सकती है क्योंकि भाजपा का विधानसभा में प्रचंड बहुमत है और विधानसभा अध्यक्ष का फैसला इस मामले में अंतिम होता है। हालांकि माना जा रहा है कि इस मामले में भाजपा थोड़ा और समय लेना चाहती है। वैसे बता दें कि चैंपियन पहले भी कभी भाजपाई नहीं रहे। वह भाजपा के उन विधायकों में से हैं जो केवल पार्टी के भरोसे नहीं हैं और खुद अपना जनाधार रखते हैं। यही वजह है कि वह भाजपा की जांच समिति के तलब करने पर भी बुधवार को भाजपा कार्यालय नहीं आये और उसकी बजाय दिल्ली रवाना हो गए।

इस तरह देखा जाए तो वह भाजपा को चिढ़ाने की भी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं ताकि उनका काम बन जाए। वैसे कुंवर प्रणव चैंपियन की रणनीति की उनके हालिया बयानों से भी तस्दीक होती है, क्योंकि सबसे पहले उन्होंने महात्मा गांधी की बजाय डॉ. भीमराव अंबेडकर को राष्ट्रपिता का दर्जा देने की मांग की और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की बात भी कही। यही नहीं वह कह चुके हैं कि कांग्रेस और भाजपा दोने उन्हें समझ नहीं पाए। उनके ये बयान उनकी बसपा में दिलचस्पी के संकेत तो कर ही रहे हैं।

 

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