बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 दिसंबर से अपनी नई पहल ‘महिला संवाद यात्रा’ शुरू करने जा रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य राज्य की महिलाओं से सीधा संवाद करना है और उनके मुद्दों को समझना है। नीतीश कुमार के अनुसार, यह यात्रा महिलाओं को सशक्त बनाने और उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में एक अहम कदम होगी। लेकिन इस यात्रा को लेकर राज्य की राजनीति में उबाल आ गया है, और विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।
लालू यादव ने नीतीश कुमार की यात्रा को बताया दिखावा
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस यात्रा पर निशाना साधते हुए इसे केवल दिखावे का मामला बताया। उनका कहना था कि नीतीश कुमार इस यात्रा के माध्यम से “आंखें सेंकने” जा रहे हैं, और यह यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है। लालू यादव का यह बयान बिहार की सियासत में एक नया मोड़ लेकर आया है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि 2025 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ही बिहार में सत्ता में लौटेगी, और सिर्फ उनके नेतृत्व में ही बिहार की तस्वीर बदलेगी।
लालू यादव का बयान सत्तारूढ़ गठबंधन में खलबली मचा गया, और बिहार की बीजेपी ने इस पर तीखा जवाब दिया।
बीजेपी ने लालू यादव पर किया कड़ा हमला
लालू यादव के बयान पर बीजेपी के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने लालू यादव के बयान को शर्मनाक और घृणित करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि पहले उन्हें लगता था कि लालू यादव शारीरिक रूप से बीमार हैं, लेकिन अब उन्हें लगता है कि वह मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो चुके हैं। सम्राट चौधरी ने सलाह दी कि लालू यादव को बेहतर इलाज की जरूरत है।
वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी लालू यादव के बयान की कड़ी निंदा की। उनका कहना था कि आरजेडी प्रमुख के पास हमेशा अवसरवादी और स्वार्थी लोग होते हैं, और यह वही लोग हैं जो राज्य की राजनीति में गड़बड़ी फैलाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि लालू यादव ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए माहौल तैयार किया था, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया।
तेजस्वी यादव ने पूछा, क्या इतने पैसे खर्च करने की जरूरत थी?
आरजेडी के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘महिला संवाद यात्रा’ पर सवाल उठाए हैं। तेजस्वी ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री को जनता से मिलने के लिए 200 करोड़ रुपए खर्च करने की आवश्यकता थी? उनका कहना था कि अगर नीतीश कुमार को जनता से संवाद करना था, तो इतनी बड़ी राशि खर्च करने की जरूरत क्यों पड़ी? तेजस्वी का आरोप है कि यह यात्रा केवल राज्य के खजाने को लूटने का एक तरीका है, और कुछ लोग नीतीश कुमार के चेहरे के पीछे छुपकर इसका फायदा उठा रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने यह भी दावा किया कि बिहार सरकार ने इस यात्रा के आयोजन के लिए 225 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जो राज्य के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि इस यात्रा के नाम पर इतने पैसे खर्च करना राज्य की महिलाओं के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा।
आरजेडी ने नीतीश कुमार पर कई गंभीर आरोप लगाए
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर बिहार के विशेष राज्य दर्जे की मांग पर भी आरोप लगाए। उनका कहना था कि नीतीश कुमार ने जब से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी, तब से लेकर अब तक इस मुद्दे पर उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। तेजस्वी के अनुसार, जब बिहार में बाढ़ आती है, तो केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिलती, और नीतीश कुमार इस मुद्दे पर चुप्प रहते हैं।
तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने राज्य की तरक्की के बजाय अपने कुछ करीबी लोगों के हितों को साधने का काम किया है। आरजेडी का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार बिहार को चलाने के लिए सक्षम नहीं हैं, और इस तरह की राजनीति से राज्य की स्थिति नहीं सुधरने वाली है।
बिहार की राजनीति में तूल पकड़ते विवाद
बिहार में नीतीश कुमार की ‘महिला संवाद यात्रा’ को लेकर चल रही सियासी जंग ने राज्य की राजनीति को और भी गर्मा दिया है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे महिलाओं के मुद्दों पर संवाद करने का एक सकारात्मक प्रयास मानते हैं, वहीं विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक प्रचार और राज्य के खजाने की लूट का तरीका करार दिया है। आने वाले दिनों में यह यात्रा बिहार की राजनीति में और भी नई धारा जोड़ सकती है, और आगामी विधानसभा चुनावों में इसका बड़ा असर पड़ सकता है।
अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस यात्रा के जरिए बिहार की महिलाओं से जुड़ी समस्याओं पर कितनी सफलता हासिल कर पाते हैं, और क्या यह यात्रा सचमुच बिहार के विकास में योगदान देती है, या फिर विपक्ष के आरोपों की तरह यह भी केवल एक राजनीतिक स्टंट साबित होगी।