लैंड फॉर जॉब घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की पत्नी राबड़ी देवी की ‘गौशाला’ में काम करने वाले एक कर्मचारी ने अकूत संपत्ति इकट्ठी की है. ये नौकर रेलवे में नौकरी पाने वाले लोगों से रिश्वत के पैसे इकट्ठे करता था. फिर बाद में इसे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा यादव को ट्रांसफर करता था. ईडी ने यह भी कहा कि एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड फर्जी कंपनियां थीं, जिन्हें लालू प्रसाद यादव के परिवार के लोगों से पैसा मिलता था.
केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से कहा गया है कि कंपनियों में प्रमुख लोगों ने कई अचल संपत्तियां अर्जित कीं. फिर नाममात्र राशि के लिए शेयर लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों को ट्रांसफर किए गए. अमित कात्याल नाम का शख्स लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए इन कंपनियों का प्रबंधन करता था. ईडी ने इस महीने एक विशेष पीएमएलए कोर्ट के समक्ष दायर प्रारंभिक आरोप पत्र में इसका खुलासा किया था. धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दायर आरोप पत्र में अमित कात्याल, राबड़ी देवी, मीसा भारती (लालू यादव की बेटी), हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी को आरोपी बनाया गया है.
विशेष कोर्ट ने 27 जनवरी को आरोपपत्र पर संज्ञान लिया और सुनवाई शुरू करने के लिए आरोपी व्यक्तियों को 9 फरवरी, 2024 को हाजिर होने के लिए नोटिस जारी किया गया है. अमित कात्याल को ईडी ने पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया था. वह फिलहाल जेल में हैं. सोमवार को ईडी ने अपने पटना कार्यालय में 75 वर्षीय लालू प्रसाद से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की. इस दौरान बड़ी संख्या में राजद कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
मामले में पूछताछ के लिए लालू प्रसाद के बेटे और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आज यानी मंगलवार को बुलाया गया है. ईडी ने साल 2022 में कथित नौकरी के बदले जमीन घोटाले में सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर मामले की जांच शुरू की थी. यह कथित भ्रष्टाचार का मामला तब का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक यूपीए-1 सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री थे. केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि लोगों को कथित तौर पर भूमि भूखंडों के बदले रेलवे में नौकरियां दी गईं.