महाकुंभ में डुबकी लगाएंगी स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन, साथ में करेंगी 15 दिन का कल्पवास

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक शहर प्रयागराज में इस साल महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जो देश-विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं को एक साथ लाने वाला है। इस धार्मिक मेले में न केवल भारत के लोग, बल्कि विदेशों से भी कई महत्वपूर्ण व्यक्ति आकर सनातन धर्म के इस महापर्व में भाग लेंगे। इन विदेशियों में एक खास नाम है, स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल का। महाकुंभ में उनका शामिल होना चर्चा का विषय बन गया है।

लॉरेन पॉवेल का भारत आगमन और महाकुंभ में भागीदारी
लॉरेन पॉवेल, जो कि एप्पल कंपनी के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी हैं, 13 जनवरी को भारत पहुंचने वाली हैं। इस दौरान वह महाकुंभ के महत्व को समझने और आध्यात्मिक उन्नति की तलाश में संगम में डुबकी लगाने के लिए आ रही हैं। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में होता है और इस बार यह आयोजन 2024 में हो रहा है। महाकुंभ में स्नान करने के साथ-साथ लॉरेन पॉवेल 15 दिनों तक कल्पवास करने का निर्णय भी लिया है। कल्पवास का मतलब होता है 15 दिन का ध्यान और साधना, जिसमें श्रद्धालु अपने आत्मिक उन्नति के लिए ध्यान और उपवास रखते हैं।

लॉरेन पॉवेल के साथ इस खास मौके पर सुधा मूर्ति, सावित्री जिंदल, और हेमा मालिनी जैसी प्रमुख हस्तियां भी शामिल होंगी। इन नामों के बीच, सुधा मूर्ति और सावित्री जिंदल जैसी चर्चित और प्रभावशाली महिलाएं भी महाकुंभ में स्नान और कल्पवास करेंगी।

अरबपति और समाजसेवी लॉरेन पॉवेल का भारत में आगमन
लॉरेन पॉवेल केवल स्टीव जॉब्स की पत्नी ही नहीं, बल्कि खुद भी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। उनका नाम एप्पल की कंपनी से जुड़ा हुआ है, लेकिन उनकी पहचान स्टीव जॉब्स के योगदान से भी ज्यादा उनके सामाजिक कार्यों के लिए है। स्टीव जॉब्स के निधन के बाद उनकी 25 अरब डॉलर की संपत्ति उनकी पत्नी लॉरेन को मिली थी। ऐसे में, उनकी भारत यात्रा एक खास महत्व रखती है, क्योंकि उनका जीवन न केवल व्यापार और धन से जुड़ा है, बल्कि वह समाजसेवी कार्यों में भी सक्रिय हैं।

महाकुंभ के दौरान लॉरेन के ठहरने की व्यवस्था
लॉरेन पॉवेल महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान करेंगी और फिर वह 15 दिनों तक कल्पवास करेंगी। इस दौरान, उन्हें प्रयागराज में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में ठहरने की व्यवस्था की गई है। कल्पवास के दौरान, वह 19 जनवरी से शुरू होने वाली कथा की पहली यजमान भी होंगी। इस कथा में उनका हिस्सा विशेष रहेगा, क्योंकि वह इन 15 दिनों में सनातन धर्म को और गहराई से समझने की कोशिश करेंगी।

महाकुंभ में अन्य प्रमुख हस्तियां
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक हस्तियों के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। लॉरेन के साथ ही सुधा मूर्ति और सावित्री जिंदल भी महाकुंभ में शामिल होने के लिए आ रही हैं। सुधा मूर्ति, जो कि एक प्रसिद्ध लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, संगम में स्नान करने के बाद उल्टा किला के पास तैयार किए गए एक कॉटेज में ठहरेंगी। वहीं, सावित्री देवी जिंदल का ठहराव स्वामी अवधेशानंद और स्वामी चिदानंद मुनि के शिविरों में होगा।

इसके अतिरिक्त, हेमा मालिनी, जो भाजपा की सांसद भी हैं, महाकुंभ के दौरान जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के शिविर में ठहरेंगी।

महाकुंभ में आध्यात्मिकता का संगम
महाकुंभ का आयोजन न केवल हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी आध्यात्मिक जागरण का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस बार का महाकुंभ और भी खास हो गया है क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में विदेशी मेहमान भी शामिल हो रहे हैं। इन दिग्गजों के महाकुंभ में शामिल होने से यह आयोजन और भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो गया है।

महाकुंभ में शामिल होने का यह अवसर लॉरेन पॉवेल, सुधा मूर्ति और अन्य वीआईपी महिलाओं के लिए एक अनूठा अनुभव होगा। इसके साथ ही, यह भारत की आध्यात्मिक और धार्मिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का एक अहम जरिया बनेगा।

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