नई दिल्लीः जैन मुनि सागर का 51 साल की उम्र में निधन हो गया है. जैन मुनि महाराज बीते 20 दिन से पीलिया रोग से पीडित थे. जिसका लगातार इलाज चल रहा था. और वे अस्पताल में लगातार डॉक्टरों की निगरानी में थे इसके बाद भी उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो रहा था. जिसके बाद खबर है कि दवाओं से सुधार न मिलने पर उन्होंने स्वयं ही अंतिम दिनों में अपना इलाज बंद कर दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था.
जैन मुनि तरुण सागर के अनगिनत भक्त थे. उन्हें मानने वाले सामान्य व्यक्ति से लेकर बड़े-बड़े राजनेता और फ़िल्मी जगत के सितारे भी थे. अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक उन्होंने जैन धर्म के हर नियम का पालन किया और आखिरकार मोक्ष की प्राप्ति की.
जैन धर्म के अनुसार, मृत्यु को समीप देखकर धीरे-धीरे खानपान त्याग देने को संथारा या संलेखना (मृत्यु तक उपवास) कहा जाता है. इसको जीवन की अंतिम साधना भी माना जाता है.
आपको बता दें, कि 2015 में राजस्थान हाईकोर्ट ने इसे आत्महत्या जैसा बताते हुए भारतीय दंड संहिता 306 और 309 के तहत दंडनीय बताया था. हालांकि दिगंबर जैन परिषद ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के इस फैसले पर रोक लगा दी थी.